शहीद अस्पताल खदान मज़दूरो के बीच 1977 के आपातकाल से ही बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए अनवरत कार्य कर रही है।और आदिवासी अंचल का सबसे बेहतर अस्पताल है डॉ का पंजीयन निलंबन. का कर रहे हैं विरोध..
बालोद दल्ली.. जिले के आदिवासी अंचल का सबसे बेहतर अस्पताल है शहीद अस्पताल. जहां लगभग 100 किलोमीटर दूर से गरीब मजदूर तबके के लोग इलाज कराने आते हैं. श्रमिकों के अनुसार. जानते हैं कैसे शहीद अस्पताल का आगाज हुआ. छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ के खदान मज़दूरो के संवेदना की पराकाष्ठा देखिए जब एक खदनहीन कुसुमबाई प्रसव वेदना के दौरान दम तोड़ देती है, तब सभी मज़दूर दृढ़ संकल्पित होकर 3 जून 1983 को शहीद अस्पताल के निर्माण का आधारशिला रखते हैं। विगत 44 – 45 वर्षो से डॉ शैबालकुमार जाना खदान मज़दूरो के संगठन छत्तीसगढ़ माइंस श्रमिक संघ ( छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ) के साथ मिलकर न केवल दल्लीराजहरा अपितु आसपास के आदिवासी इलाका के लोगों के बीच बेहतर स्वास्थ्य के लिए कार्य कर रहें है। क्षेत्र के परेशान बीमार लोग जो वर्षो से शहीद अस्पताल से स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं वे भलीभांति जानते हैं शहीद अस्पताल और डॉक्टर जाना एक – दूसरे के पूरक है।
सरकार के अफसरान मानसिक रोगग्रस्त होकर बेहतर स्वास्थ्य के लिए काम करने वाले, सुघ्घर स्वास्थ्य का अलख जगाने वाले हमारे प्राणदूतो डॉ. शैबालकुमार जाना और डॉ. दीपांकर सेनगुप्ता के खिलाफ सत्य एवं तथ्यविपरीत निलम्बन आदेश जारी किया है, जिसका हम सब मुखालफत करते हैं !
छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान परिषद, छत्तीसगढ़ शासन, रायपुर ने बिना तथ्यों का बारीकी से अध्ययन – अवलोकन किए अफसरशाही के तर्ज पर आनन – फानन में क्षेत्र के प्रतिष्ठित शहीद अस्पताल के जनप्रिय डाक्टरों डॉ. शैबालकुमार जाना, डॉ. दीपांकर सेनगुप्ता के खिलाफ एक आदेश जारी कर दिनांक 11 अक्टूबर 2022 से 10 जनवरी 2023 अर्थात तीन महीनों के लिए निलम्बित कर दिया है, जो हमें कत्तई मंजूर नही है। हम मज़दूर आन्दोलन के विभिन्न मोर्चे पर नवधनाढ्य उद्योगपति और बीएसपी मैनेजमेंट का निलम्बन – डिरजिस्ट्रेशन जैसे हमलों का सामना किया है, अतः हम हमारे डाक्टरों को किये जा रहे निलम्बन बर्दाश्त नहीं करेंगे।
आईए, सरकार के निलम्बन करने के आधारहीन कारणों को जान लें ! शेख अंसार के अनुसार
सरकार के चेतनाशून्य अफसर कहते है, कि डॉ.दीपांकर सेनगुप्ता ने निश्चेतना विधा का प्रमाणपत्र छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान परिषद के समक्ष जमा नही किया। सरकार ने कदापि प्रयास नही किया वर्ना एक ईमेल के आदान – प्रदान से भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद नई दिल्ली से एक क्लीक में डॉ. दीपांकर के निश्चेतना विधा का प्रमाणपत्र प्राप्त हो जाती, हम अपना सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए बताते हैं कि डॉ. दीपांकर सेनगुप्ता वर्ष 1978 में कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस प्रावीण्य श्रेणी मे उत्तीर्ण किया हैं। उनका पंजीयन क्रमांक सीजीएमसी 8087/2018 ( छत्तीसगढ़ में ) इसके बाद दो वर्षो अथक अध्ययन के पश्चात निश्चेतन विधा प्रमाणपत्र हासिल किया हैं।
डॉ. शैबालकुमार जाना पिता स्वर्गीय केपी जाना प्रतिष्ठित कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज से वर्ष 1978 में एमबीबीएस की परीक्षा उत्तीर्ण किया है। ( छत्तीसगढ़ में ) पंजीयन क्रमांक सीजीएमसी 4308/2012 हैं। एमबीबीएस का भावार्थ बेचलर ऑफ मेडिसिन बेचलर ऑफ सर्जरी, हमारे अस्पताल में छोटी – छोटी सर्जरी प्रतिदिन होती है जो डॉ जाना विगत 40 वर्षो से सफलतापूर्वक कर परेशान चेहरे को मुसकान से भर रहे हैं।
बालोद से के.नागे की रिपोर्ट