मंडी समितियो ने सौंपा एसडीएम व बीएमो को ज्ञापन* *रिपोर्ट:- नागेश्वर मोरे जिला संवाददाता सर्वोच्च छत्तीसगढ़ न्यूज़
*मंडी समितियो ने सौंपा एसडीएम व बीएमो को ज्ञापन*
*रिपोर्ट:- नागेश्वर मोरे जिला संवाददाता सर्वोच्च छत्तीसगढ़ न्यूज़
*देवभोग*- प्राथमिक कृषि सहकारी समिति देवभोग,रोहनागुड़ा,लाटापारा,गोहरापदर, निस्टिगुड़ा, झिरिपानी,झाखरपारा,दीवानमुडा के कर्मचारियों के द्वारा शासन के समर्थन मूल्य धान खरीदी नीति अनुसार विगत कई वर्षों से धान उपार्जन का कार्य सम्पादित किया जा रहा है,किंतु गत वर्ष 2021-22 में धान उपार्जन किया गया जिसमें विलंब से धान परिदान पश्चात में सुखत आने के कारण स्कंध वजन में कमी हुई थी, इसलिए कुछ समितियों के कर्मचारी के ऊपर अपराधिक प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तार की गई है। जिसे देखते हुए समितियों के कर्मचारियों द्वारा धान उपार्जन कार्य करने में असमर्थता व्यक्त किया जा रहा है, जबकि शासन के नीति अनुसार किसानों से धान लेते समय नमी की मात्रा 17 प्रतिशत से अधिक नही होनी चाहिये और उपार्जन के समय लगभग 15 से 17 प्रतिशत तक नमी पाया जाता है। शासन के निति अनुसार धान उपार्जित के 72 घंटे के अंतर परिदान का व्यवस्था किया जाना होता है। किंतु विलंब से परिदान होने के कारण परिदान के समय उस धान की नमी 13 से 14 प्रतिशत हो जाता है।उक्त 1 से 2 प्रतिशत कि नमी कम होने से स्कंध मे वजन में कमी स्वाभाविक है किंतु उपार्जन निति कंडीका क्रमांक 15.9 के अनुसार धान उर्पाजन केंद्र में संग्रहित के लिए सुखत मात्रा मान्य नहीं होगी। इसी कंडीका को आधार बनाकर शासन के द्वारा उपार्जन कार्य में लगे कर्मचारियों के उपर स्कंध कमी का ब्यौरा देकर मानसिक रूप से प्रताड़ित एवं प्रकरण दर्ज किया जाता है। इसी कारण कर्मचारियों द्वारा धान उपार्जन कार्य नहीं करने का निणर्य लिया गया है। साथ ही साथ देवभोग मे स्थित धर्मकांटा के तौल प्रक्रिया को प्रमाणित करने कि मांग भी रखी गई है, जिसके तहत देवभोग में स्थित 4 धर्मकांटा को समितियों के मध्य बांटा जायेगा। जिसमें सर्व प्रथम खाली वाहन कि तौल फिर भरी गाडिय़ों की तौल कर उच्च प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा प्रमाणित किया जायेगा जो मिलरों के सर्वमान्य होगा। यदि प्रमाणित धर्मकांटा के तौल के पश्चात कोई कमी पाई जाती है तो इसकी जवाबदेही मिलर व वाहन चालक की होगी। मांग के इस कडी मे खरीदी केंद्र प्रभारी खरीदी तक साथ होते हैं जबकि उठाव तक साथ होना चाहिए, किंतु ये नहीं होता जिसके कारण सुखद व कमी का बोझ व आरोप मंडी समिति के ऊपर डाला जाता है इसलिए खरीदी मंडी केंद्र प्रभारियों की जिम्मेदारी धान उठाव तक होना चाहिए।