जानें, क्यों आतंकी हाफिज सईद की नई चाल UN में नहीं होगी कामयाब
आतंकी हाफिज सईद ने संयुक्त राष्ट्र में अर्जी लगाकर खुद को आतंकियों की सूची से नाम हटाने की अपील की है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। वो आतंक का आका है,वो मौत का सौदागर है। उसके हाथ बेगुनाहों के खून से सने हुए हैं। उसके खिलाफ न जाने कितने सबूत दिए जा चुके हैं। लेकिन वो पाकिस्तान की अदालत से इसलिए आजाद हो गया क्योंकि उसके खिलाफ पाकिस्तान की सरकार सबूत नहीं दे सकी। हम बात कर रहे हैं लश्कर के संस्थापक और मौजूदा समय में जमात-उद-दावा के मुखिया हाफिज सईद की। कुछ दिनों तक पहले वो नजरबंद था। लेकिन इस समय पाकिस्तान की फिजां में हाफिज के बोल गूंज रहे हैं। हाफिज एक तरफ कश्मीरियों की आजादी की बात कर रहा है तो दूसरी तरफ कहता है कि वो आतंकी है ही नहीं।
जमात-उद-दावा के चीफ हाफिज की ओर से संयुक्त राष्ट्र में अर्जी लगाई गई है। ये अर्जी लाहौर की एक कानूनी फर्म ‘मिर्जा एंड मिर्जा’ की ओर से दाखिल की गई है। जब ये अर्जी दी गई उस दौरान हाफिज नजरबंद ही था। हाफिज के लिए अर्जी दाखिल करने वाले नावेद रसूल मिर्जा पाकिस्तान के नेशनल अकाउंटबिलिटी ब्यूरो में वकील रह चुके हैं, इसके अलावा पंजाब सरकार के एडवोकेट जनरल भी रह चुके हैं।
2008 में आतंकी घोषित हुआ हाफिज
जमात-उद-दावा के सरगना सईद को संयुक्त राष्ट्र ने नवंबर 2008 में हुए मुबंई हमलों के बाद UNSCT 1267 (यूएस सिक्यॉरिटी काउंसिल रेजॉलूशन) के तहत दिसंबर 2008 में आतंकी घोषित किया था। अमेरिका ने मुंबई हमलों से पहले ही मई 2008 में हाफिज सईद को वैश्विक आतंकी घोषित कर दिया था। इतना ही नहीं अमेरिका ने मुंबई हमलों में हाफिज की भूमिका को लेकर उसके सिर पर 1 करोड़ डॉलर का इनाम भी रखा था। बता दें कि सईद ने पाकिस्तान में नजरबंदी से रिहा होते ही संयुक्त राष्ट्र में यह याचिका दायर की है।