SC में दायर हुई फांसी के खिलाफ याचिका, कोर्ट का केंद्र को नोटिस

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नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मृत्युदंड के लिए दी जानी वाली फांसी की सजा के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। यह याचिका वकील रिषी मल्होत्रा द्वारा दायर की गई है जिसमें कहा गया है कि मृत्युदंड के लिए फांसी देना बेहद क्रूर तरीका है इसलिए इसका कोई विकल्प तलाशा जाए।

बता दें कि इसके लिए वकील रिषी मल्होत्रा ने याचिका दाखिल की है। मल्‍होत्रा ने याचिका में मृत्‍युदंड के लिए फांसी को क्रूर तरीका बताया है और इसकी जगह किसी दूसरे विकल्प को अपनाने की मांग की है।

याचिका में यह भी कहा गया है कि एयरफोर्स, नेवी और आर्मी एक्ट में मृत्युदंड में दो विकल्प होते हैं। फांसी या गोली मारना, जबकि आइपीसी और सीआरपीसी में सिर्फ फांसी का प्रावधान है। वहां जजों को विवेकाधिकार है, जबकि यहां नहीं है। अलग-अलग कानूनों में अलग अलग व्यवस्था भेदभाव और अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। मल्होत्रा का कहना है कि मृत्युदंड देने का फांसी का तरीका खत्म करके कोई और तरीका अपनाया जाए।

मल्होत्रा ने मरने तक फांसी पर लटकाए रखने का प्रावधान करने वाली सीआरपीसी की धारा 354(5) को रद करने की मांग करते हुए कहा है कि ये मौत देने का सबसे क्रूर और अमानवीय तरीका है। उनका कहना है कि अमेरिका के 35 राज्यों में मृत्युदंड में फांसी खत्म कर उसकी जगह गोली मारने या इलेक्‍ट्रिक चेयर के तरीके को अपनाया गया है। फांसी देने के लिए अपनाये जाने वाले तरीके और सजा भुगतने जा रहे दोषी की मनोदशा की चर्चा करते हुए मल्होत्रा कहते हैं कि दोषी को फांसी के लिए डायस तक ले जाते हैं। उसके मुंह को काले कपड़े से ढंका जाता है। फांसी देने से पहले फंदा जांचा जाता है, ड्राप जांचा जाता है यानि दोषी के वजन के बराबर का ड्राप डाल कर देखा जाता है। फांसी के बाद शरीर को आधे घंटे लटका कर रखा जाता है। यह प्रक्रिया काफी क्रूर है।

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