अमलीपदर क्षेत्र ग्राम उसरी जोर निवासी सूरज लाल बेटी की हुई मृत्यु फिर भी आर्थिक तंगी से मुआवजा की आस में झेल रहे हैं सूरज लाल शासन प्रशासन को कहा हमारी भी गुहार सुनो सरकार शासन-प्रशासन मौन जिम्मेदार कौन
✍️ सर्वोच्च छत्तीसगढ़ न्यूज़ संवाददाता विक्रम कुमार नागेश अमलीपदर
गरियाबंद जिला मैनपुर ब्लॉक अमलीपदर क्षेत्र ग्राम पंचायत गुढ़ियारी आश्रित पारा उस उसरीजोर छत्तीसगढ़ शासन लोक निर्माण विभाग द्वारा 2018 में बना उसरीजोर से कांदा डोंगर मार्ग के लिए किसानों के जमीन को शासन द्वारा अधिग्रहण किया गया। और 356.32 लाख लागत में पक्की सड़क शासन के द्वारा बना दी गई। लेकिन अब तक जमीन के बदले किसानों को मुआवजा नहीं मिला है। जिसके चलते किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई है। किसानों के मुआवजा प्रकरण को बीते दिनों भारत सरकार सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त आरएन आई रजिस्टर्ड ऑनलाइन वेब पोर्टल अखबार सर्वोच्च छत्तीसगढ़ न्यूज़ व नवभारत अखबार ने प्रमुखता से उठाया था। और इन किसानों का आवाज बन कर खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। लेकिन खबर के प्रकाशन के बाद भी शासन व विभाग के द्वारा किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया जाहिर अब तक नहीं की गई है। और न हीं इन किसानों को उनका हक अब तक मिला है। जिसके चलते इनकी स्थिति तर से बत्तर हो चुकी है। कई बार विभागीय दफ्तर काटने के बाद भी उन्हें उनका हक नहीं मिल पाया हैं।जिसके चलते उनकी स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है। लेकिन विभाग के द्वारा उन्हें आश्वासन के सिवा अब तक कुछ नहीं मिला है।उन्हीं किसानों में से एक सूरज लाल हैं जो ग्राम उसरीजोर का निवासी है। और उनका मात्र डेढ़ एकड़ जमीन ही था। लेकिन शासन के द्वारा उस जमीन को अधिग्रहण कर अब तक उस जमीन के बदले उन्हें मुआवजा नहीं मिलने के कारण वह घर से बेघर हो गया है। और झोपड़ी में रहने को मजबूर है। उनके जीने का सहारा ही चला गया है। जिसके चलते सूरज लाल की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो जाने के चलते उसकी बेटी प्रमिला बाई को खोना पड़ा। आर्थिक तंगी झेल रहे सूरज लाल की स्थिति इतनी खराब हो गई कि उसे दो वक्त की रोटी भी मिल पाना दुर्लभ हो गया। उसके बड़ी बेटी जो ससुराल छोड़कर मायके अपने पिता के घर रहती थी और उसके तीन बच्चे भी अपने मां के साथ सूरज लाल के पास रहते थे। और उन सभी का भरण- पोषण उसके पिता सूरज लाल ही करता था। लेकिन सूरज लाल के जमीन चले जाने के कारण उसकी स्थिति धीरे-धीरे खराब होने लगी। व परिवार का भरण पोषण करने में धीरे-धीरे वह छिड़ होता चला गया। और अंततः उसकी बेटी प्रमिला बाई की स्थिति इतनी ज्यादा खराब होती चली गई की उसका मृत्यु हो गया। आर्थिक परेशानी के बोझ तले बहुत कमजोर होती चली गई और अंततः उसकी मृत्यु हो गई।सरकारी मुआवजा की आस में वह अपनी बेटी को इलाज भी नहीं करा पाया। क्योंकि उसके पास इलाज करने के लिए कुछ बचा ही नहीं था। और उसकी स्थिति इतनी दयनीय हो चुकी है कि उसे दो वक्त की रोटी जुटा पाना भी बड़ा मुश्किल सा हो गया है।मुआवजा की आस में वह सरकारी दफ्तर काटते काटते उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। लेकिन उसे जमीन के बदले मुआवजा अब तक नहीं मिल पाया है ।अंततः उसकी आर्थिक स्थिति इतनी ज्यादा खराब हो गए कि उसे अपनी बेटी को भी खोना पड़ा।लोक निर्माण विभाग के अधिकारी से मुआवजा के संबंध में पूछने से उनका कहना हर बार कि प्रकरण बनकर तैयार हो गया है ।और जल्दी ही इन किसानों को मुआवजा मिल जाएगा। लेकिन समय बीतता जा रहा हैं लेकिन किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है। केवल उन्हें आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। आखिर इन किसानो को कब मुआवजा मिलेगा।