19 साल बाद भी सड़क नसीब नहीं खेत के मेड़ पर  स्कूल जाने के लिए मजबूर छात्र-छात्राएं- (सर्वोच्च छत्तीसगढ़ न्यूज़. गोहरा पदर. तुलसीराम नागेश)

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19 साल बाद भी सड़क नसीब नहीं खेत के मेड़ पर  स्कूल जाने के लिए मजबूर छात्र-छात्राएं(सर्वोच्च छत्तीसगढ़ न्यूज़. गोहरा पदर. तुलसीराम नागेश)

राज्य सरकार द्वारा 6 से 11 वर्ष के छोटे-छोटे बच्चों को दूरदराज की स्कूलों से निजात दिलाने हर गांव में प्राथमिक स्कूल खोला है लेकिन पाठशाला तक पहुंच मार्ग के लिए अब तक कोई पहल नहीं की गई है जबकि मासूम छात्र खेत की मेड के सहारे विद्या के मंदिर पहुंचते हैं ऐसे ही बीते 19 साल  से गोहेकेला गोटियापारा स्कूल  के मार्ग का यही हाल हे गांव के बच्चे आधा किलो मीटर से अधिक खेत और उबड़ खाबड़ मेड़ पर आवागमन करते हैं बच्चों को इस परेशानी से निजात दिलाने के लिए अब  तक  किसी ने पहल नहीं की जबकि शाला विकास समिति द्वारा पंचायत से लेकर तत्कालीन कलेक्टर तक इस समस्या को पहुंचाया गया इसे राहत दिलाने के लिए मनरेगा के तहत सड़क स्वीकृति देने की मांग भी की जा चुकी है पर विडंबना यह है कि सड़क के लिए ना शिक्षा विभाग ने कोई पहल की और ना ही जनपद पंचायत के अधिकारियों ने 2003 में हुई थी स्कूल की स्थापनावर्ष 2003 मैं गोटियापरा प्राथमिक शाला स्कूल का स्थापना हुआ था जहां अपनी प्राथमिक पढ़ाई कर सैकड़ों बच्चे निकल गए वर्तमान में अभी 44 छात्र अध्ययनरत है और आज भी खेत खलियान के पगडंडी रास्ते में चलने के लिए मजबूर है।बरसात के दिनों में तो खेत और मेड कीचड़ से लथपथ  होता हे।इसके अलावा सड़क के बीचो बीच छोटी सी नाला भी है।जहां अक्सर पानी का बहाव देखने को मिलता है।  जिससे पंचायत प्रतिनिधियों के साथ साथ स्थानीय अधिकारी भी अवगत हे। फिर भी सड़क की पहल तक नहीं हो पाई है। जबकि मनरेगा के तहत मिट्टी सड़क आसानी से बनाया जा सकता है

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