श्योपुर: आदिवासी मतदाता निभाते हैं जहां निर्णायक भूमिका

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श्योपुर

 मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल श्योपुर जिले की दोनों विधानसभा सीटों पर इस बार दोनों ही प्रमुख दलों कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने पुराने चेहरों पर ही भरोसा जताया है, वहीं समूचे क्षेत्र के एकमात्र अदिवासी प्रत्याशी मुकेश मल्होत्रा इस बार निर्दलीय के तौर पर चुनावी मैदान में ताल ठोंक कर दोनों दलों के समीकरण बिगाड़ सकते हैं।
विजयपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस और भाजपा से लगभग 30 साल पुराने दो प्रतिद्वंद्वी ही इस बार भी आमने-सामने हैं।

 भाजपा उम्मीदवार बाबूलाल मेवरा द्वारा बार-बार दल बदलने के कारण पार्टी ने इस बार उन्हें बमुश्किल उम्मीदवारी प्रदान की है। कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मंत्री रामनिवास रावत पिछले 32 वर्षों से विजयपुर क्षेत्र से ही कांग्रेस के उम्मीदवार रहे हैं। इन दोनों के बीच कई बार चुनावी युद्ध हो चुका है, जिसमें दोनों एक दूसरे को पटखनी भी दे चुके हैं।

मेवरा ने पिछले चुनाव में भाजपा विधायक सीताराम आदिवासी का विरोध किया था। इसके बाद पार्टी ने इस बार फिर उन्हें ही टिकट दे दिया है। सीताराम आदिवासी का टिकट कटने से आदिवासियों में भारी नाराजगी थी। ऐसे में उन्होंने अपना निर्दलीय उम्मीदवार मुकेश मल्होत्रा मैदान में उतार दिया है, जिसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ सकता है। मुकेश मल्होत्रा ने 2018 का चुनाव भी लड़ा था। इस बार इस समूचे आदिवासी अंचल में मुकेश मल्होत्रा एकमात्र आदिवासी प्रत्यशी हैं। क्षेत्र में लगभग 60 हजार आदिवासी मत हैं।

वहीं श्योपुर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने विधायक बाबू जण्डेल पर ही दांव खेला है। भाजपा भी इस बार भी पुराने उम्मीदवार पूर्व विधायक दुर्गालाल विजय के ही भरोसे है। यहां कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला होने जा रहा है।

 

 

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