फर्जी पेंशन मामले में कड़ी कार्रवाई के संकेत
रायपुर। समाज कल्याण विभाग के एक पूर्व अधिकारी द्वारा गलत तरीके से पेंशन लेने का सनसनीखेज मामला सामने आने के बाद उच्च अधिकारियों द्वारा कार्रवाई को लेकर हलचल तेज हो गई। महानदी भवन से लेकर इंद्रवती भवन के कर्मचारियों के बीच यह चौकाने वाला मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्र बताते हैं कि मामले की जानकारी मुख्यमंत्री सचिवालय ने भी मंगवाई है।
गौरतलब है कि समाज कल्याण विभाग के एक संयुक्त संचालक राजेश कुमार तिवारी एक जनवरी 2020 से प्रतिनियुक्ति पर अपने सेवानिवृति के दिन 30 जून 2022 तक इसी विभाग के उप सचिव पद पर पदस्थ रहे। उनका मूल पद संयुक्त संचालक, समाज कल्याण विभाग का था लेकिन आरोप है कि उन्होंने प्रतिनियुक्ति अवधि को अपना पूरा सेवाकाल बताकर सामान्य प्रशासन विभाग से पेंशन प्रकरण तैयार करवाया। अधिकारी बताते हैं कि इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग से बड़ी चूक हुई है। वहीं समाज कल्याण विभाग भी इस मामले में कम दोषी नहीं है। आरोप है कि समाज कल्याण विभाग ने वर्षों पहले समाप्त हो चुकी श्री तिवारी की संविदा नियुक्ति की जानकारी छुपाकर और उनकी नियुक्ति को तदर्थ बताकर मंत्रिपरिषद से मंजूरी लेकर 25 जून 2009 से नियमितीकरण का आदेश जारी कर दिया। वे 30 जून 2022 को सेवानिवृत हो गए। शासकीय सेवक के रूप में उनकी कुल नियमित सेवा अवधि 13 वर्ष की है। इसी आधार पर उन्हें तृतीय समयमान वेतनमान की पात्रता नहीं होने का आदेश भी जारी किया गया था। लेकिन पेंशन प्रकरण में उन्होंने इन तथ्यों को छुपाते हुए सन 1990 में हुई पहली तदर्थ नियुक्ति को नियमित शासकीय सेवा बताकर अपनी सेवा अवधि 32 वर्ष 4 माह 17 दिन करवा डाली।
जीएडी हुआ सक्रिय, खंगाल रहे दस्तावेज
इस मामले का भांडा फूटने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग सक्रिय हो गया है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक मामले से संबंधित दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। यह भी पता लगाया जा रहा है कि चूक किस स्तर पर हुई है।
विभाग के वरिष्ठ अधिकारिओं के मुताबिक इस मामले का परीक्षण कराया जायेगा, अगर कोई गलती पाई गई तो दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी। एक सवाल के उत्तर में विभाग के एक उच्च अधिकारी ने कहा कि यदि पेंशन के मामले में कोई गड़बड़ी पाई गई तो कार्रवाई के साथ ही रिकवरी भी की जाएगी।
27 की जगह 70 हजार ले रहे पेंशन
आधिकारिक दस्तावेजों के हिसाब से श्री तिवारी की नियमित सेवा तेरह वर्ष थी। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा उन्हें वर्ष 2009 में नियमित किया गया था। लेकिन वे अपनी सेवा अवधि 1990 से बता कर 32 वर्ष की नियमित सेवा का पेंशन ले रहे हैं। अगर 13 साल नियमित सेवा मानी जाए तो उनकी पेंशन करीब 27 हजार रूपये होनी चाहिए। हालांकि यह रकम पुरानी पेंशन स्कीम के हिसाब से है, जो राज्य बनने के पहले ही बंद हो चुकी है। लेकिन 32 वर्ष सेवा अवधि बताने के कारण उन्हें 70 हजार, 9 सौ 59 रूपये हर महीने पेंशन मिल रही है।
शासकीय वाहन चोरी के मामले में नहीं हुई कार्रवाई
समाज कल्याण विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2004 में विभाग द्वारा नि:शक्तजनो के कल्याण के लिए धमतरी जिले के लिए नई बोलेरो गाड़ी खरीदी गई थी। लेकिन पात्रता नहीं होने के बाद भी श्री तिवारी ने उक्त वाहन को निजी उपयोग के लिए रायपुर स्थित अपने निवास पर रखा था। उनके निवास से यह वाहन चोरी हो गया। इतना कुछ होने के बाद भी पुलिस में वाहन चोरी की रिपोर्ट नहीं लिखवाई गई और न ही विभाग ने श्री तिवारी से रिकवरी की।