राष्ट्रीय

शांति समझौते के बाद मणिपुर में शांति के एक नए युग की शुरूआत : बीरेन सिंह

इंफाल  मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 'यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट' (यूएनएलएफ) के साथ...

त्रिपुरा में 2026-27 तक 7000 हेक्टेयर भूमि पर लगाए जाएंगे पाम के पौधे

अगरतला  त्रिपुरा सरकार ने वित्त वर्ष 2026-27 तक 7000 हेक्टेयर भूमि पर पाम के पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है।...

भारत की अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर अच्छी खबर: सितंबर तिमाही 7.6% की दर से बढ़ी देश की GDP

नई दिल्ली भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है। सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी में जबरदस्त तेजी आई...

चक्रवाती तूफान देशभर में बरपाएगा कहर, चलेंगी तेज हवाएं, भारी बारिश की भी चेतावनी

नईदिल्ली अंडमान सागर एवं पास की बंगाल की खाड़ी के ऊपर स्पष्ट निम्न दबाव क्षेत्र देखा गया है और आज...

दिल्ली-मुंबई के 60% रहवासी वायु प्रदूषण के कारण 60% छोड़ना चाहते हैं अपना शहर

 दिल्ली / मुंबई . दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में भीड़ बढ़ने के साथ ही पॉल्यूशन भी बढ़ रहा है।...

डब्ल्यूएचओ का खुलासा : विश्वभर की एक तिहाई महिलाएं जीवन में शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव करती हैं

नई दिल्ली विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने बताया कि दुनियाभर में तीन महिलाओं में से लगभग एक ने अपने जीवनकाल...

उनके चट्टानी हौसले से हिमालय भी झुका ! कैसे मजदूरों ने अपने रेस्क्यू में की एक दूसरे की मदद

नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरंग से 17 दिन बाद सुरक्षित बाहर निकाले गए मजदूरों से फोन पर बातचीत...

VHP का बड़ा खुलासा : कारोबारी खुद बनवाना चाहते थे अयोध्या में राम मंदिर

अयोध्या अयोध्या के राम मंदिर निर्माण अंतिम दौर में है। जनवरी में उद्घाटन की भी संभावनाएं जताई जा रही हैं।...

नगालैंड: रक्तदान को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए 17,000 किलोमीटर से अधिक की पैदल यात्रा

कोहिमा  राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का एक सामाजिक कार्यकर्ता रक्तदान के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए 21,000 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा...

कोहरे की आशंका से अजमेर-सियालदह एक्सप्रेस के कुछ फेरे निरस्त रहेंगे

कोटा  रेलवे ने आगामी कुहांसे के मौसम में दिसम्बर से फरवरी माह तक अजमेर-सियालदह के कुछ फेरे निरस्त करने का...

You may have missed

” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।