पूर्व IAS की बेटी पर फर्जीवाड़े का सनसनीखेज आरोप: फर्जी एसटी प्रमाण पत्र से बनीं जिला पंचायत अध्यक्ष, 15 दिनों में जाँच की मांग

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पूर्व IAS की बेटी पर फर्जीवाड़े का सनसनीखेज आरोप: फर्जी एसटी प्रमाण पत्र से बनीं जिला पंचायत अध्यक्ष, 15 दिनों में जाँच की मांग

मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी (छत्तीसगढ़): एक चौंकाने वाले खुलासे ने जिला पंचायत की राजनीति में हड़कंप मचा दिया है। जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती नम्रता सिंह जैन पर फर्जी अनुसूचित जनजाति (एसटी) प्रमाण पत्र के जरिए एसटी आरक्षित सीट जीतकर अध्यक्ष पद पर काबिज होने का गंभीर आरोप लगा है। यह मामला सामाजिक न्याय, संवैधानिक प्रावधानों और प्रशासनिक पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।

कौन हैं नम्रता सिंह जैन
श्रीमती नम्रता सिंह जैन, पति श्री सचिन जैन, वर्तमान में मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी की जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। उनके पिता स्वर्गीय श्री नारायण सिंह (जन्म 1954, ओडिशा) 1977 बैच के आईएएस अधिकारी थे, जिन्होंने मध्य प्रदेश/छत्तीसगढ़ कैडर में अपनी सेवाएँ दीं। नम्रता ने 2025 में जिला पंचायत चुनाव में एसटी आरक्षित सीट पर जीत हासिल की और बाद में अध्यक्ष पद संभाला।

आरोपों का केंद्र: फर्जी एसटी प्रमाण पत्र
शिकायतकर्ता के अनुसार, नम्रता सिंह जैन ने जो एसटी प्रमाण पत्र (जारी तारीख 26/12/2019) प्रस्तुत किया, वह फर्जी है। यह प्रमाण पत्र तत्कालीन संयुक्त कलेक्टर श्री चन्द्रिका प्रसाद बघेल द्वारा जारी किया गया था। आरोप है कि प्रमाण पत्र जारी करने से पहले उचित सत्यापन नहीं किया गया, जो प्रशासनिक लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार को दर्शाता है।

तथ्य जो उठा रहे सवाल
– नम्रता सिंह जैन के परिवार का 1950 से पहले छत्तीसगढ़ में कोई निवास, राजस्व रिकॉर्ड, ग्राम सभा प्रस्ताव या जमीन का दस्तावेज नहीं है, जो एसटी प्रमाण पत्र की पात्रता के लिए अनिवार्य है।
– उनके पिता ओडिशा के मूल निवासी थे। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत, एक राज्य की एसटी पहचान दूसरे राज्य में मान्य नहीं होती। यानी, ओडिशा की जनजातीय पहचान छत्तीसगढ़ में लागू नहीं हो सकती।
– छत्तीसगढ़ में 2000-2020 के बीच 758 मामलों में 267 फर्जी एसटी प्रमाण पत्र पकड़े गए हैं, जो इस तरह के फर्जीवाड़े की गंभीरता को दर्शाता है।

प्रशासनिक लापरवाही या भ्रष्टाचार
आरोपों के मुताबिक, संयुक्त कलेक्टर श्री चन्द्रिका प्रसाद बघेल ने बिना सत्यापन के यह प्रमाण पत्र जारी किया, जो भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) के दिशानिर्देशों (10 अप्रैल 2003 और 15 जून 2010) के अनुसार, 1950 से पहले निवास का सत्यापन अनिवार्य है। इस मामले में यह प्रक्रिया पूरी तरह नजरअंदाज की गई।

जाँच समिति गठित, लेकिन कार्रवाई में देरी
एसडीएम, मोहला के पत्र (दिनांक 26/05/2025) में इस मामले की जाँच के लिए उच्च स्तरीय छानबीन समिति गठन की बात कही गई है। हालांकि, शिकायतकर्ता ने जिला कलेक्टर, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी से माँग की है कि यह जाँच 15 दिनों में पूरी हो, क्योंकि यह मामला वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष से जुड़ा है और इसमें सामाजिक न्याय का सवाल शामिल है।

शिकायतकर्ता की पाँच प्रमुख माँगें
1. त्वरित जाँच: 15 दिनों में उच्च स्तरीय समिति द्वारा प्रमाण पत्र की वैधता, निवास और सामाजिक स्थिति की जाँच।
2. प्रमाण पत्र रद्द: फर्जी पाए जाने पर तत्काल रद्दीकरण।
3. अयोग्यता: छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 19 और 36 के तहत नम्रता सिंह जैन को अध्यक्ष पद से अयोग्य ठहराया जाए।
4. कानूनी कार्रवाई: भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 61,2, 318, 336, 338, 339, 342, एससी/एसटी अधिनियम की धारा 3,1,vii, ix, x, और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत कार्रवाई।
5. **पारदर्शिता:** प्रमाण पत्र से संबंधित सभी दस्तावेजों को आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 4 के तहत सार्वजनिक किया जाए।

सामाजिक और संवैधानिक उल्लंघन का मामला
यह मामला संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता), अनुच्छेद 342 (एसटी की राज्य-विशिष्ट पहचान), और अनुच्छेद 243D (पंचायतों में आरक्षण) का उल्लंघन माना जा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय के कई निर्णयों, जैसे माधुरी पाटिल बनाम अतिरिक्त आयुक्त (1994) और महाराष्ट्र राज्य बनाम मिलिंद (2001), में स्पष्ट किया गया है कि फर्जी एसटी प्रमाण पत्र के आधार पर प्राप्त लाभ रद्द किए जाने चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

क्या होगा अगला कदम?
यह मामला न केवल एक व्यक्ति विशेष से जुड़ा है, बल्कि यह प्रशासनिक जवाबदेही, सामाजिक न्याय और पंचायती राज व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है। अब सभी की निगाहें जिला प्रशासन पर टिकी हैं कि वह इस संवेदनशील मामले में कितनी तत्परता और निष्पक्षता से कार्रवाई करता है। संभव है इस मामले में बहुत से लोग कोर्ट का रुख जरूर करेंगे !

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