छत्तीसगढ़

सितंबर तिमाही में प्रॉफिट बढ़कर हुआ 1762 करोड़, 49 प्रतिशत बढ़ा EBITDA

नई दिल्ली अदाणी ग्रुप की पोर्ट कंपनी अदाणी पोर्ट ने चालू वित्त वर्ष 24 के दूसरे तिमाही के नतीजे जारी...

SC ने ऑड-ईवन को बताया ‘दिखावा’, दिल्ली सरकार हलफनामे में गिनाए फायदे

नई दिल्ली ऑड-ईवन पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से सवाल उठाए जाने के बाद दिल्ली सरकार ने सर्वोच्च अदालत में...

आज साउथ अफ्रीका को अफगानिस्तान पर बड़ी जीत की दरकार

अहमदाबाद तेम्बा बावुमा की कप्तानी वाली साउथ अफ्रीका और हशमतुल्लाह शाहिदी की अगुआई वाली अफगानिस्तान (SA vs AFG) की टीम...

राज्यस्तरीय मीडिया अनुप्रमाणन समिति द्वारा 542 विज्ञापन अनुप्रमाणित किये गये

भोपाल विधानसभा निर्वाचन-2023 में राजनैतिक दलों को विज्ञापन एवं अन्य प्रचार सामग्री को अनुप्रमाणित कराना अनिवार्य है। इस कार्य के...

अनुष्का शर्मा की दूसरी प्रेग्नेंसी की खबरों के बीच बेबी बंप छुपाती हुई नजर आईं !

भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली और बॉलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा अपनी पर्सनल लाइफ को बहुत सीक्रेट रखना पसंद करते हैं। चाहे...

रिवीलिंग शॉर्ट ड्रेस पहनकर मोनालिसा ने इंटरनेट पर लगाई आग, हॉटनेस देख क्रेजी हुए फैंस

रिवीलिंग शॉर्ट ड्रेस पहनकर मोनालिसा ने इंटरनेट पर लगाई आग, हॉटनेस देख क्रेजी हुए फैंस मुंबई भोजपुरी स्टार मोनालिसा के...

आईसीई के 205 साल के इतिहास में पहली बार भारतवंशी अनुषा शाह बनीं अध्यक्ष

आईसीई के 205 साल के इतिहास में पहली बार भारतवंशी अनुषा शाह बनीं अध्यक्ष लंदन  ब्रिटेन के प्रतिष्ठित 'इंस्टीट्यूट ऑफ...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।