ये है दुनिया की सबसे महंगी दवा, 1 डोज में खरीद लेंगे 340 CAR

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नई दिल्ली

दुनिया की सबसे महंगी दवा Zolgensma इंजेक्शन एक बार फिर चर्चा में है। यह वन-टाइम जीन थेरेपी है जिसका यूज स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (SMA) से जूझ रहे बच्चों के इलाज में किया जाता है। हालांकि यह भारत में अप्रूव्ड नहीं है लेकिन डॉक्टर की सलाह और सरकार की मंजूरी के बाद इसका आयात किया जा सकता है। यह दुनिया की सबसे महंगी दवा है। भारत में इसकी एक डोज की कीमत 17 करोड़ रुपये बैठती है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने इस बीमारी से जूझ रहे 15 साल के एक बच्चे के इलाज के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांगी है। यही कारण है कि यह दवा एक बार फिर सुर्खियों में है।

Zolgensma को स्विस कंपनी नोवार्तिस ने विकसित किया है। यह दुर्लभ जेनेटिक बीमारी एसएसए के इलाज में काम आती है। एसएमए एक घातक, न्यूरोमस्कुलर और प्रोग्रेसिव आनुवंशिक बीमारी है। यह खासतौर से ब्रेन की नर्व सेल्स और रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचाती है। एक अनुमान के मुताबिक अमेरिका में 10,000 से 25,000 बच्चे और वयस्क इस बीमारी से जूझ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि बहुत कम मरीज दवा को खरीद पाते हैं, इसलिए इसकी कीमत बहुत ऊंची बनी रहती है। दुनिया में एसएमए के इलाज के लिए केवल तीन दवाओं को मंजूरी मिली है। इन्हें बनाने वाली कंपनियां बायोजेन, नोवार्तिस और रॉश है।

क्यों ज्यादा है कीमत

दिल्ली के रेनबो चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल में विजिटिंग कंसल्टेंट विभू क्वात्रा ने कहा कि भारत में Zolgensma की कीमत करीब 17 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि इस दवा का मार्केट बहुत छोटा है और यह दवा बहुत असरकारक है। यही कारण है कि इसकी कीमत बहुत अधिक है। इसकी भारी कीमत के बावजूद एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे एसएमए के इलाज और केयर में आने वाले खर्च को काफी हद तक ऑफसेट किया जा सकता है। नोवार्तिस की वेबसाइट के मुताबिक इस दवा को 45 देशों में मंजूरी मिली है और अब तक दुनियाभर में 2,500 मरीजों का इलाज किया जा चुका है। कंपनी का दावा किया है उसने 36 देशों में करीब 300 बच्चों को मुफ्त में जीन थेरेपी दी है।

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