छत्तीसगढ़

कांगो में विद्रोहियों ने कम से कम 44 ग्रामीणों की हत्या की

कांगो में विद्रोहियों ने कम से कम 44 ग्रामीणों की हत्या की किंशासा कांगो के अशांत पूर्वी हिस्से में चरमपंथी...

शांतिपूर्ण निर्वाचन सम्पन्न करने हेतु धारा 144 प्रभावी

अनूपपुर भारत निर्वाचन आयोग द्वारा 09 अक्टूबर को निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही जिले मे आदर्श आचार संहिता...

भारतीय स्काइडाइवर शीतल 21,500 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाने वाली दुनिया की पहली महिला

काठमांडू  भारत की प्रसिद्ध स्काइडाइवर शीतल महाजन ने माउंट एवरेस्ट के सामने 21,500 फीट की ऊंचाई से हेलीकॉप्टर से छलांग...

डाॅ रमन सिंह का दावा भारी मतों से सूबे में बन रही भाजपा सरकार

रायपुर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने मीडिया के साथ चर्चा करते हुए दावा किया कि सूबे में...

उत्तर कोरिया ने मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल के लिए नये ठोस ईंधन इंजन का परीक्षण किया

सियोल  उत्तर कोरिया ने  कहा कि उसने क्षेत्र में अपने विरोधियों को निशाना बनाने वाले परमाणु-सक्षम हथियार विकसित करने की...

भारत के पूर्व रक्षा सचिव अजय कुमार यूएसआईएसपीएफ बोर्ड के सलाहकार बने

सैन फ्रांसिस्को भारत के पूर्व रक्षा सचिव अजय कुमार ‘अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं साझेदारी फोरम’ (यूएसआईएसपीएफ) में बोर्ड के सलाहकार के...

वन स्टेशन वन प्रोडक्ट योजना के तहत दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के 27 स्टेशनों पर 31 स्टाल

बिलासपुर रेलवे की व्यापक पहुंच और महत्व को ध्यान में रखते हुये स्थानीय उत्पादों को देशभर में लोकप्रिय बनाने के...

चीन की अर्थव्यवस्था में अक्टूबर में सुधार के संकेत

बीजिंग  चीन की अर्थव्यवस्था में अक्टूबर में सुधार के संकेत दिखे। खुदरा बिक्री और विनिर्माण में तेजी आई है, हालांकि...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।