छत्तीसगढ़

बालोद में दर्दनाक सड़क हादसे में पिता-पुत्र समेत तीन की मौत, परिजनों में पसरा मातम, रो-रो कर बुरा हाल

बालोद. बालोद जिले में भीषण सड़क हादसे में तीन लोगों की दर्दनाक मौत हो गई है। मिली जानकारी के अनुसार...

जिनका शीर्ष नेतृत्व जमानत पर हो वो नैतिकता की बात न करें – प्रहलाद पटेल

भोपाल. कांग्रेस हमेशा विरोधाभासी और तथ्य से अलग आरोप लगाकर हमेशा विकास की चर्चा से दूर रहना चाहती है। मतदान...

हमारे बूथ कार्यकर्ता ही संगठन की सबसे बड़ी ताकत – विष्णुदत्त शर्मा

झाबुआ/धार. भाजपा में हमारे बूथ कार्यकर्ता ही संगठन की सबसे बड़ी ताकत हैं। हमारे कार्यकर्ताओं के परिश्रम का ही परिणाम...

मुख्यमंत्री केजरीवाल की पत्नी को मिली राहत, HC ने समन पर लगा दी रोक

नईदिल्ली दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को हाई कोर्ट...

हम सम्मान छोड़ इस ….. के साथ; संदीप दीक्षित ने केजरीवाल पर कांग्रेस को दिखाया आईना

नई दिल्ली. 28 दलों के विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' में शामिल होने के बावजूद दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी...

कॉम्प्रोमाइज करने की शर्त पर ऑफर हुई बड़ी फ‍िल्म, लगा ऐसा सदमा, एक्ट्रेस ने छोड़ दी इंडस्ट्री

मुंबई एक्ट्रेस, मॉडल और फॉर्मर मिसेज इंडिया अदिति गोवित्रिकर भले अपनी मॉडलिंग करियर में सक्सेसफुल रही हैं लेकिन बॉलीवुड की...

विक्रांत भूरिया के समर्थन में सभा को संबोधित करने दिग्विजय झाबुआ-अलीराजपुर, भाजपा सांसद रवि किशन मध्य प्रदेश दौर

भोपाल भोजपुरी फिल्म कलाकार और भाजपा सांसद रवि किशन आज प्रदेश के दौरे पर हैं। वे महाकोशल क्षेत्र में भाजपा...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।