छत्तीसगढ़

पुनः स्कूल संचालित करने गरियाबंद जिला के कलेक्टर से लगाई गुहार – इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद

गरियाबंद/मैनपुर । आदिवासी विकासखंड मैनपुर क्षेत्र मे एक मात्र निःशक्त बच्चो के लिये स्कूल आर.बी.सी. का संचालन तहसील मुख्यालय मैनपुर...

बजट के लालच में NTCA को भेजी गयी है 5 बाघ होने की झूठी रिपोर्ट, उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में नहीं है एक भी बाघ – तीव कुमार सोनी एवं शिवशंकर सोनपिपरे

उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में नहीं है एक भी बाघ, बजट के लालच में NTCA को भेजी गयी है 5...

आज ग्वाला स्वीट्स एवं पनीर का शुभारम्भ राम मंदिर के सामने ….

ग्वाला डेयरी एवं स्वीट्स "सम्मान आपके विश्वास का " स्लोगन के साथ ग्वाला डेयरी एवं स्वीट्स का शुभारंभ हुआ वीआईपी...

उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के पायलीखंड बेहराडीह हीरा खदान को तस्करों के लिए खुला छोड़ कर वन विभाग बाघ के पीछे है पागल पर बाघ उनको मिलता ही नहीं– तीव कुमार सोनी एवं इतेश सोनी

उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के पायलीखंड बेहराडीह हीरा खदान को तस्करों के लिए खुला छोड़ कर वन विभाग बाघ के...

मैनपुर/जिडार में मडाई मेला का आयोजन 27 दिसम्बर को – इतेश सोनी जिला ब्यूरो प्रमुख गरियाबंद

इतेश सोनी जिला ब्यूरो प्रमुख गरियाबंद मैनपुर क्षेत्र के प्रथम मडाई मेला का आयोजन ग्राम जिडार से प्रारंभ हो रहा...

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा आयोजित सात दिवसीय प्राथमिक प्रशिक्षण वर्ग जारी – इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद

इतेश सोनी जिला ब्यूरो प्रमुख गरियाबंद सर्वोच्य छत्तीसगढ़ गरियाबंद । राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा दिया जाने वाला प्रशिक्षण व्यक्ति...

प्रादेशिक पंचायिका दूरभाष निर्देशका विमोचित

रायपुर।छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने आज अपने शंकर नगर स्थित आवास में मासिक प्रादेशिक पंचायिका दूरभाष निर्देशका 2019-20 का...

मनरेगा : फिसड्डीयों में अव्वल का जश्न मना रही है कांग्रेस सरकार, 8 जनवरी को ग्रामीण बंद का मनरेगा होगा मुद्दा

एक स्कूल में 100 बच्चे थे, जिसमें से 10 पास हुए, वह भी थर्ड डिवीज़न। पहले स्थान पर आए बच्चे...

मानव विकास के लिए गणितीय जागरूकता बढ़ाना ही गणित के मुख्य उद्देश्य है। : दंतेवाड़ा

दंतेवाड़ा जिले के एजुकेशन सिटी, जावंगा में स्थित आस्था विद्या मंदिर में राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया गया। भारतीय विज्ञान कांग्रेस...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।