राज्य स्थापना दिवस: तीन दिनों तक बिखरेगी छत्तीसगढ़ी संस्कृति की छटा, जानें कब क्या होगा?
रायपुर. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) राज्य के 20वें
स्थापना दिवस को खास बनाने के लिए तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं.
राज्य सरकार द्वारा 1 से 3 नवम्बर तक रायपुर (Raipur) के साइंस कालेज
मैदान में राज्योत्सव (Rajyotsava) का आयोजन किया जा रहा है. इस वर्ष
राज्योत्सव में छत्तीसगढ़ी संस्कृति (Chhattisgarhi Culture) की छटा
बिखरेगी. तीनों दिन छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय शास्त्रीय नृत्य, वादन, गायन के
साथ गीत-गजल एवं संगीत की भी प्रस्तुतियां होंगी. कार्यक्रमों में
पंडवानी गायन, पारम्परिक नृत्य पंथी, गेड़ी, गौरी-गौरा, राउत नाचा, करमा,
सैला, गौर, ककसाड़, धुरवा, सुआ नृत्य, सरहुल नृत्य, सैला नृत्य, राउत नाच,
और ककसार नृत्य का प्रदर्शन किया जाएगा.
छत्तीसगढ़
(Chhattisgarh) राज्योत्सव के तीनों दिन लोकमंच का भी कार्यक्रम आयोजित
होगा. इस साल राज्योत्सव का शुभारंभ एक नवम्बर को शाम 7 बजे कांग्रेस
(Congress) की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) करेंगी.
इसके बाद दूसरे दिन 2 नवम्बर को मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ की राज्यपाल
अनुसुईया उइके होंगी. फिर राज्योत्सव का समापन 3 नवम्बर को मुख्यमंत्री
भूपेश बघेल के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न होगा. इस वर्ष राज्योत्सव में
राज्य शासन द्वारा स्थापित अलग-अलग क्षेत्रों के राज्य स्तरीय सम्मान तीनों
दिन दिए जाएंगे.
मोहरी वादन से होगी शुरुआत
राज्योत्सव में कार्यक्रम की शुरुआत मांगलिक मोहरी वादन से होगा. इसके बाद
छत्तीसगढ़ महतारी की वंदना गीत-अरपा पैरी के धार की प्र्रस्तुति होगी. फिर
लोकनृत्यों का संगम होगा, जिसमें राज्य के विभिन्न अंचलों के लोक नर्तक
दलों की प्रस्तुति होगी. इस प्रस्तुति में पंथी, गेड़ी, गौरी-गौरा, राउत
नाचा, करमा, सैला, गौर, ककसाड़, धुरवा, सुआ नृत्य का संयोजन होगा. इसी क्रम
में पंडवानी गायन, रायगढ़ की कत्थक शैली में समूह नृत्य की प्रस्तुति
होगी तथा रंगारंग लोकमंच के कार्यक्रम के साथ ही पहले दिन के कार्यक्रमों
का समापन होगा.
खंझेरी भजन और सरहुल की प्रस्तुति
राज्योत्सव के
दूसरे दिन सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत खंझेरी भजन से होगी. इसके बाद
उत्तर छत्तीसगढ़ का सरहुल और सैला नृत्य, मध्य छत्तीसगढ़ का राउत नाच और
दक्षिण छत्तीसगढ़ का ककसार नृत्य होगा. इस क्रम में अल्फाज और आवाज
गीत-गजलों का कार्यक्रम होगा. साथ ही पियानो एवं एकार्डियन तथा वाद्यवृंद
की प्रस्तुति होगी. इसी दिन ओड़िसी और भरतनाट्यम के अलावा पारंपरिक भरथरी
गायन तथा सरगुजिहा गीत प्रस्तुत किए जाएंगे. कार्यक्रम का समापन लोकमंच के
साथ होगा. राज्योत्सव की तीसरी सांस्कृतिक संध्या का आरंभ छत्तीसगढ़ी सुगम
गायन से होगा. इस दिन पूर्वी छत्तीसगढ़ का करमा, उत्तरी छत्तीसगढ़ का
लोहाटी बाजा, दक्षिण छत्तीसगढ़ का गेड़ी नृत्य तथा मध्य छत्तीसगढ़ का पंथी
नृत्य होगा. इसके पश्चात कठपुतली का कार्यक्रम, कबीर सूफी गायन होगा.
वाद्यवृंद में तालकचहरी तथा सेक्सोफोन एवं गिटार की प्रस्तुति होगी.
पारंपरिक लोक गायन ढोलामारू के पश्चात कार्यक्रम की समाप्ति लोकमंच से
होगी.