छत्तीसगढ़

इस बुजुर्ग को पीवी सिंधु से करनी है शादी,कलेक्टर को दी धमकी

तमिलनाडु । अक्सर अपने शानदार प्रदर्शन की वजह से मीडिया की सुर्खियों में रहने वालीं बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु इस...

संजय नेताम ने कामेपुर (धवलपुर) में ग्रामीणों से मुलाकात कर समस्याओ की ली जानकारी तथा ग्रामीणों को शासन की योजनाओं की दी जानकारी – तीव कुमार सोनी

संजय नेताम ने कामेपुर (धवलपुर) में ग्रामीणों से मुलाकात कर समस्याओ की ली जानकारी तथा ग्रामीणों को शासन की योजनाओं...

छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन के पत्रकार गण विश्वकर्मा पूजन कार्यक्रम में हुए शामिल ।

छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन के पत्रकारगण विश्वकर्मा पूजन कार्यक्रम में हुए शामिल । मैनपुर । आज टैक्सी यूनियन के द्वारा धवलपुर...

पटेल समाज का गरियाबंद तहसील स्तरीय युवा प्रकोष्ठ का हुआ गठन

नव निर्वाचित पदाधिकारी समाज की सेवा पूरी निष्ठा के साथ करे : प्रदेश कर्मचारी प्रकोष्ठ महासंघ अध्यक्ष रोशन पटेल शासन...

बाजार में ही मरीजों का उपचार, अब तक 13 हजार से अधिक मरीज लाभान्वित

कांकेर। दूर-दराज एवं दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना बेहद लाभकारी सिद्ध हो रहा...

प्रेरणा साहित्य सम्मान से सम्मानित हुए साहित्यकार डुमन ध्रुव

धमतरी । प्रेरणा साहित्य समिति के तत्वावधान में दिनॉक 15.09.19 को लाटाबोड़ (बालोद) में स्व. बिसम्भर यादव मरहा पुण्य स्मृति...

विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर पोस्टर मेकिंग एवं निबंध स्पर्धा सम्पन्न

धमतरी । बी.सी.एस.शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, धमतरी के मनोविज्ञान विभाग द्वारा मानसिक स्वास्थ्य दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें ''विश्व आत्महत्या...

कलेक्टर द्वारा जनदर्शन में ट्राइसाइकिल और आर्थिक सहायता प्रदान

धमतरी । कलेक्टोरेट में आयोजित कलेक्टर जनदर्शन में पहुंचे दिव्यांगजनों में ग्राम ढाबा के कन्हैया राम साहू को मोटराईज्ड ट्राइसाइकिल...

लोगों की सोच में परिवर्तन लाना हमारा दायित्व-रजत बंसल

धमतरी । रेडक्रॉस सोसायटी धमतरी द्वारा 16 से 18 सितंबर तक सर्व डीजास्टर मैनेजमेंट एवं फस्ट एड प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।