छत्तीसगढ़

गंगाजल उठाकर खाई गयी सौगंध के पूरा होने का संतोष : शैलेश नितिन त्रिवेदी

  देश की अर्थव्यवस्था और सरकारी नीतियों में महत्वपूर्ण बदलाव और कारपोरेट आधारित आर्थिक नीतियों के युग के अंत की...

काफिले के लिये एम्बुलेंस नहीं रोकने का आदेश देकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संवेदनशीलता का परिचय दिया -सुशील आनन्द

    काफिले के लिये एम्बुलेंस नहीं रोकने का आदेश देकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संवेदनशीलता का परिचय दिया -...

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करेंगे पूरे छत्तीसगढ़ का विकास – तनवीर ठाकुर

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करेंगे पूरे छत्तीसगढ़ का विकास - तनवीर ठाकुर मैनपुर । मैनपुर के युवा कांग्रेस के शहर अध्यक्ष...

बिद्रानवागढ़ विधानसभा का स्थानीय पत्रकार तीव कुमार सोनी ने किया था सटीक सर्वे, भाजपा को 75 से 85 हजार, कांग्रेस को 55 से 70 हजार तथा भाजपा को 10 से 25 हजार वोट से जितने का किया गया था दावा |

बिद्रानवागढ़ विधानसभा का स्थानीय पत्रकार तीव कुमार सोनी ने किया था सटीक सर्वे, भाजपा को 75 से 85 हजार, कांग्रेस...

मैनपुर में हुआ छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन का गठन, राधे पटेल बनाये गए ब्लाक अध्यक्ष ।

मैनपुर में हुआ छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन का गठन, राधे पटेल बनाये गए ब्लाक अध्यक्ष । मैनपुर । गरियाबंद जिले के...

48 से 52 सीट के साथ चौथी बार छत्तीसगढ़ में बनेगी भाजपा की सरकार, सर्वोच्य छत्तीसगढ़ न्यूज स्टेट सर्वे टीम ने किया सर्वे – तीव कुमार सोनी

सर्वोच्य छत्तीसगढ़ न्यूज – स्टेट सर्वे टीम छत्तीसगढ़ रायपुर | सर्वोच्य छत्तीसगढ़ न्यूज – स्टेट सर्वे टीम के सर्वे अनुसार...

कुल्हाड़ीघाट से पलायन किये 31 कमार आदिवासी तेलंगाना के थाने में है सुरक्षित, पत्रकार हसन खान के द्वारा मुद्दा उछालने पर हरकत में आया प्रशासन – तीव कुमार सोनी

कुल्हाड़ीघाट से पलायन किये 31 कमार आदिवासी तेलंगाना के थाने में है सुरक्षित, पत्रकार हसन खान के द्वारा मुद्दा उछालने...

मैनपुर क्षेत्र में संजय नेताम को मिल रही है बहुत भारी बढ़त,भाजपा पदाधिकारियो की उदासीनता का सीधा लाभ मिल रहा है कांग्रेस को – तीव कुमार सोनी

मैनपुर क्षेत्र में संजय नेताम को मिल रही है बहुत भारी बढ़त,भाजपा पदाधिकारियो की उदासीनता का सीधा लाभ मिल रहा...

उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के सीमावर्ती क्षेत्र में नक्सलियों ने लगाए बैनर पोस्टर – तीव कुमार सोनी

उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के सीमावर्ती क्षेत्र में नक्सलियों ने लगाए बैनर पोस्टर - तीव कुमार सोनी धमतरी । नक्सलियों व्दारा...

कांग्रेस का कर्जा माफी घोषणा का किसानों पर नही पड़ा कोई भी प्रभाव,रिकार्ड तोड़ धान बेच रहे है किसान – तीव कुमार सोनी

नयी सरकार की आस में किसानों के धान नहीं बेचने की खबर को झूठला रहे हैं ये आंकड़े….. पिछली बार...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।