शिवशंकर सोनपिपरे

*सड़क दुर्घटनाओं में देश का वर्तमान और भविष्य दोनों ही मारे जा रहे है:टी के भोई*

*सड़क दुर्घटनाओं में देश का वर्तमान और भविष्य दोनों ही मारे जा रहे है:टी के भोई* सड़क दुर्घटनाओं में देश...

*बड़ी खबर :- गांजा तस्करी करते हुए दो अंतर्राज्यीय तस्कर गिरफ्तार*

*बड़ी खबर :- गांजा तस्करी करते हुए दो अंतर्राज्यीय तस्कर गिरफ्तार*     *गरियाबंद से नागेश्वर मोरे की रिपोर्ट*  ...

*अक्षरा अमित को पीएचडी की उपाधि प्रदान किया गया*

*अक्षरा अमित को पीएचडी की उपाधि प्रदान किया गया*   बिलासपुर/ कलिंगा विश्वविद्यालय रायपुर छत्तीसगढ़ द्वारा अक्षरा अमित को पीएचडी...

*बालोद में बनेगा 400 सीटर ऑडिटोरियम, नालंदा परिसर भी बनेगा* , ,, 141 करोड़ रुपए के विभिन्न विकास कार्यों का किया भूमिपूजन व लोकार्पण*

*बालोद में बनेगा 400 सीटर ऑडिटोरियम, नालंदा परिसर भी बनेगा* , ,, 141 करोड़ रुपए के विभिन्न विकास कार्यों का...

गरियाबंद कलेक्टर कार्यालय में ड्यूटी से गायब रहते है अधिकारी कर्मचारी | कलेक्टर विभिन्न विभागों का किया औचक निरीक्षण और ड्यूटी से गायब  65 अधिकारी कर्मचारी को थमाया शो कॉज नोटिस |

गरियाबंद कलेक्टर कार्यालय में ड्यूटी से गायब रहते है अधिकारी कर्मचारी | कलेक्टर विभिन्न विभागों का किया औचक निरीक्षण और...

वर्ष 2025 में वाईरस वाईरस फैलने का रिसर्चर तीव कुमार सोनी का यह रिसर्च सही सिद्ध हुआ है | वर्ष 2025 में चीन , भारत में  HMPV वाईरस फ़ैल रहा है | रिसर्चर तीव कुमार सोनी ने 03 साल पहले ही बता दिया था वाईरस फैलने का वैज्ञानिक सिद्धांत |

वर्ष 2025 में वाईरस वाईरस फैलने का रिसर्चर तीव कुमार सोनी का यह रिसर्च सही सिद्ध हुआ है | वर्ष...

जनवरी में हिमालय क्षेत्र के देशो नेपाल,चीन में 7 तीव्रता के भूकंप आने का रिसर्चर तीव कुमार सोनी का रिसर्च सही सिद्ध हुआ है | जनवरी में हिमालय क्षेत्र के देशो नेपाल,चीन (तिब्बत), भूटान में 7 तीव्रता का भूकंप आया है |  

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*रमेश जायसवाल भाजपा से बिलासपुर महापौर पद के प्रबल दावेदार* *महापौर के लिए रमेश जायसवाल की दावेदारी सबसे मजबूत*

*रमेश जायसवाल भाजपा से बिलासपुर महापौर पद के प्रबल दावेदार* *महापौर के लिए रमेश जायसवाल की दावेदारी सबसे मजबूत*  ...

*कांग्रेस की प्रगति वजपाई महापौर के लिए मजबूत प्रत्याशी हो सकती है … कहा पार्टी टिकट दे तो जीतकर आऊंगी …*

*कांग्रेस की प्रगति वजपाई महापौर के लिए मजबूत प्रत्याशी हो सकती है ... कहा पार्टी टिकट दे तो जीतकर आऊंगी...

गरियाबंद कलेक्टर के पत्रों को कचरा के डब्बा में फेक देते है एसडीएम और सीईओ | आम जनता के मामलो में नहीं किया जाता है कोई सुनवाई , कार्यालय के चक्कर काट काट कर पीड़ित हो रहे है परेशान |  

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।