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विदेशी निवेशकों ने 18 दिनों में भारतीय बाजार में लगाए 8,400 करोड़ रुपये

नईदिल्ली भारतीय शेयर बाजार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) को खूब लूभा रहा है. इस महीने यानी अगस्‍त 2023 के 18...

घोर आर्थिक संकट में घिरा चीन, सोवियत संघ की तरह टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा ?

बीजिंग मुश्किल में फंसा चीन, दुनिया के कई जानकारों के लिए अब चिंता का विषय बन गया है। मैन्‍युफैक्‍चरिंग हब...

डोनाल्ड ट्रंप की भारत को धमकी!’अगर मैं राष्ट्रपति बना तो…’

नईदिल्ली अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ अमेरिकी उत्पादों पर भारत की तरफ से लगाए जाने वाले टैरिफ...

विकास के समग्र दृष्टिकोण से कार्य हुआ मध्यप्रदेश में : अमित शाह

मप्र को सम्पूर्ण आत्मनिर्भर बनाने का समय हर क्षेत्र में बुलंदियों पर है प्रदेश प्रधानमंत्री मोदी ने मप्र को मन...

दतिया हवाई पट्टी के विकास का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज करेंगे भूमिपूजन

भोपाल. मध्‍य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार दतिया की हवाई पट्टी का विस्तार कराएगी। हवाई पट्टी का...

खरगे को चन्नी पर भरोसा और सिद्धू को किया आउट; जानें CWC में पंजाब के चेहरों का ऐसा का हाल

चंडीगढ़. कांग्रेस पार्टी की नई वर्किंग कमेटी सीडब्ल्यूसी का ऐलान कर दिया गया है। इस कमेटी में पंजाब के पूर्व...

24 लाख किसानों को मिलेगी न्याय योजना की दूसरी किस्त, सीएम भूपेश बघेल ने दी सैकड़ों करोड़ की सौगात

रायपुर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी(Rajiv Gandhi) की जयंती को राज्य सरकार ‘‘सद्भावना दिवस‘‘ के रूप में मना रही...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।