गौठानों में जड़ी बूटी दवा वितरण किया गया जिसमे मवेशियों को भी खिलाया गया

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उरेन्द्र कुमार साहू फिंगेश्वर
लोहरसी | ग्रामीण अंचल में पारम्परिक हरेली पर्व बड़े उत्साह के साथ धूम धाम से मनाया गया हरेली का त्यौहार मूलतः किसानो का त्यौहार है हरेली के दिन किसान अपने कृषि यंत्रो को धो मांज कर पूजा किया जाता है फसल की अच्छी पैदावार के लिए देवी देवताओ जाता है सावन में जल जनित बीमारियों के रोक थाम के लिए गांव के देवी देवताओ का पूजा अर्चना कर निवेदन किया जाता है और गेड़ी चलाकर उत्साह मनाये , वर्ष का यह प्रथम त्यौहार है यह त्यौहार हरयाली व खुसी का प्रतिक है तथा ग्रामीण अंचल में हरेली के पर्व पर घरो से बहार गोबर से विभिन्न आकृति बनाई जाती है इसके पीछे मान्यता यह है की इससे जादू टोना का असर नहीं होता है और परिवार के सदस्य सुरक्षित रहते है धार्मिक परम्पराओ के अनुसार हरेली अमावस्य के दिन गांव के झंकर पुजारी व रावत घर घर जाके भेलवा का डगाल घर के ओरछा में लगाते है हरेली त्यौहार का परम्परागत शुभारम्भ दिन के निकलने के साथ ही शुरू हो जाता है सुबह पशु पालक किसान धान लेके गांव के झांकर व चरवाहे से दश मूल कंद दवाई लाकर अपने मवेशी को निरोग होने के लिए खिलाते है

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