कृषि मजदूरों की हालत खराब. ग्रीष्म ऋतु में ओले गिरना कहीं सचेतक तो नहीं..के. नागे कि कलम से.
बालोद :- बिते दिनों जिला के कई स्थानों में गरज चमक के साथ जमकर बारीस और ओले गिरे. तो लोग कहने लगे कि इस तरह से गर्मी के मौसम में ओले गिरना कहीं मौसम कि बेरूखी तो नहीं. कही अंकाल पड़ने की आहट तो नहीं. प्रदेश के किसानों के लिए यह साल कंही खुशी और कहीं गम वाली साबित हुई है । प्रदेश में कांग्रेस के सरकार बनने के बाद श्रृण माफी 2500 रूपये धान का समर्थन मुल्य जरूर किसानों के चेहरे की रौनक बढ़ाई थी लेकिन साल के शुरुआत से ही प्रदेश के लाखों किसानों के चेहरों को बेमौसम बारिश और ओले ने मायुस कर दिया है ।ज्ञात हो की प्रदेश के ज्यादातर आबादी गांव में रह कर खेती किसानी के कार्य पर ही निर्भर है. कृषी क्षेत्र में काम करने वाली महिला खेतिहर मजदूरों की दैनिक मजदूरी महज सौ रुपए के आसपास है जिसकी ओर शायद ही कभी किसी सरकार और किसी जनप्रतिनिधियों का ध्यान राहा होगा। केन्द्र से लेकर राज्य की सरकारें मजदूरों के लिए बड़ी बड़ी योजना हर साल लेकर आती है. योजना अंतर्गत करोड़ों रुपए खर्च किये जाने की बात करते हैं, लेकिन हकीकत के धरातल पर महज 100 से 150से रुपए की मजदुरी जिसमें प्रदेश के 80% गरीब मजदूरों के परिवारों के घरों के चुल्हा चलता है। मजदुरो के इस हालत की जानकारी राजनीतिक पार्टियों को नहीं है ऐसा कहना या मान लेना उचित नहीं होगा. सभी को इस हालत के बारे में जानकारी है लेकिन अकर्मण्यता भरी राजनीतिक सोंच और स्वार्थ के कारण मजदूरों की हालत दिन ब दिन हाशिए पर हैं. वहीं बालोद विधायक ने एक पहल जरूर किया है. बारीस और ओले से बर्बाद फसल की जानकारी आवेदन के साथ तहसील कार्यालयों में जमा करने की अपील बालोद विधायक संगीता सिन्हा ने की है. लेकिन मजदूरों के लिए उनके द्वारा किसी भी प्रकार के कोई बात नहीं की गई. क्षेत्र के ज्यादातर मजदुर जो दिन भर खेतों में काम कर अपने पसीने से किसानों को फसलों को सिंचते है. उनमें से कुछ मजदूरों से बात किए जिसमें कुछ महिला मजदूर भी थे । बातचीत के दौरान कुछ महिला मजदूरों ने बोला की महिला प्रधान जिला होने के बावजूद गरीब मजदुरो के प्रति नेता, अधिकारीयों के पास कोई सोंच नहीं है. जिससे गरीब मजदूर के परिवारों की आर्थिक स्थिति बदली जा सके। सरकार अगर अगर चाहे तो. कृषि मजदूरों एवं निम्न किसानो का सर्वे कराकर मजदूर हित में कार्य कर सकते हैं.. बालोद से. के. नागे कि कलम से…