उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के पायलीखंड बेहराडीह हीरा खदान को तस्करों के लिए खुला छोड़ कर वन विभाग बाघ के पीछे है पागल पर बाघ उनको मिलता ही नहीं– तीव कुमार सोनी एवं इतेश सोनी
उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के पायलीखंड बेहराडीह हीरा खदान को तस्करों के लिए खुला छोड़ कर वन विभाग बाघ के पीछे है पागल पर बाघ उनको मिलता ही नहीं – तीव कुमार सोनी एवं इतेश सोनी
मैनपुर | उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के जंगल में विश्व प्रसिद्द पायलीखंण्ड बेहराडीह हीरा खदान स्थित है | उस खदान में बेशकीमती हीरा पाया जाता है | खदान को शुरू करने से प्रदेश की तकदीर बदल सकती है परन्तु वन विभाग हीरा खदान की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है | वन विभाग बाघ के पीछे है पागल पर बाघ उनको मिलता ही नहीं है | हालांकि हीरा खदान का मामला वन विभाग से अलग है परन्तु वन क्षेत्र में होने के कारण वन विभाग की भी जिम्मेदारी बनती है की हीरा खदान की सुरक्षा का कोई उपाय करे व् हीरा खदान खोले जाने के संबंध में शासन को अनुशंसा करे परन्तु वन विभाग का केवल बाघ खोजना ही काम रह गया है और बाघ उनको मिलता ही नहीं है | गरियाबंद जिले के उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व अंतर्गत बेहराडीह और पायलीखण्ड का हीरा विश्व का सबसे बेशकीमती हीरा है और यह खदान देश के सबसे बडे हीरा खदानो में एक है पर यह दुनिया के ऐसा हीरा खदान है जिसकी कोई सुरक्षा ही नही है
वन विभाग ने हीरा खदान से सुरक्षा कर्मी हटा कर खदान को छोड़ दिया है तस्करो के लिए
इलाके में वर्ष 2006 -07 में नक्सलियों के आमदरफ्त बढने के बीच जहां पायलीखंड जांगडा से बीएसएफ की कंपनी को खदान की सुरक्षा से वापस बुला लिया गया तो वहीं दूसरी तरफ बेहराडीही हीरा खदान की सुरक्षा से वन प्रशासन हाथ खडे करते हुए अपने चैकीदारों को वर्षो पहले हटा दिया है, तब से ये दोनों हीरा खदानों की सुरक्षा भगवान भरोसे हैं और सुरक्षा के अभाव में इन दोनों हीरा खदानों में अवैध खुदाई बहुत बडे पैमाने पर लगातार समय समय पर होने की जानकारी आती रहती है, अवैध खुदाई की इंतिहा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हैं कि जंगल की नदियों और पहाडों तक को खोदने से हीरे के लुटेरों ने नहीं बख्शा हैं अवैध खुदाई के बेरोकटोक के चलते आलम यह हैं कि समूचा वन क्षेत्र गढढो में तब्दील हो गया हैं हीरा जनित क्षेत्र के वृक्षों की जडों तक की 05 से 10 फिट तक की मिट्टी हीरे की तलबगार निकाल ले गये हैं
वर्ष 2006 में
विधायक दल के साथ भूपेश बघेल भी हीरा खदान का कर चुके है निरीक्षण
वर्ष 2006 में भाजपा शासन के दौरान पायलीखण्ड और बेहराडीह की हीरा खदानो पर अवैध खुदाई की खबरे छनकर रायपुर तक पहुंची इस दौरान 11 अगस्त 2006 को तब के तत्कालीन कांग्रेस विधायक दल के उपनेता भुपेश बघेल के नेतृत्व मे चार सदस्यी दल इन हीरा खानो पर पहुंचा था, कांग्रेस विधायक दल मे बिन्द्रानवागढ़ क्षेत्र के तत्कालीन विधायक ओंकार शाह, मोहम्मद अकबर, राजकमल सिंघानिया, अग्नी चंद्राकर, परेश बागबाहरा पहुंच थे और हीरा खदान क्षेत्र के सुरक्षा के मुआयने के साथ -साथ पायलीखण्ड, जांगड़ा, कुर्रूभाठा, तौरेंगा, डुमरपडाव सहित हीरा जनित अनेक ग्राम के लोगो से विधायक दल ने मुलाकात कर उनके बुनियादी समस्याओं को जाना और समझा था, छत्तीसगढ़ मे 15 वर्षो बाद सत्ता परिवर्तन हुआ है और इस बार सत्ता के बागडोर की कमान कांग्रेस के हाथ लगी है, विपक्ष मे रहते गाहे बगाहे कांग्रेस विधायक सदन के भीतर हीरा खदानो के विद्दोहन और सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े करते रहे थे अब सत्ता की कमान नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री भुपेश बघेल के हाथो है ऐसे मे हीरा खानो के मामले मे कोई निर्णायक स्थिति निर्मित होगी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता।
राज्य निर्माण 19 वर्षो
बाद भी हीरा खदान पर नही हो पाया है कोई फैसला
गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखण्ड मैनपुर में अकुत खजाना बिखरा पड़ा है किन्तु इसे समेटकर जनकल्याणकारी योजनाओं पर लगाने मे कई तरह के पेच है, उल्लेखनीय है मैनपुर से महज 8 से 10 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम बेहराडीह और 40 मील दूर ग्राम पायलीखण्ड मे हीरे की खदाने जंगलो और पहाड़ो के बीच असुरक्षित स्थिति मे बिखरी पड़ी है, नवगठित राज्य छत्तीसगढ़ की गठन के 19 सालो बाद भी न तो न्यायालय स्तर पर और न ही शासन स्तर पर इन बिखरे अकुत खजाने हीरा खानो के विद्दोहन पर न तो नीति निर्धारण बन पाई है और न ही बीते इन सालो मे इन हीरा खदाने की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कार्य योजना बनाई गई, हाल फिलहाल बिना सुरक्षा के ये हीरा खदाने लूट -पीट रही है किन्तु इन हीरा खदानो का मामला न्यायालय मे होने का तथ्य देकर शासन प्रशासन भी खदानो की सुरक्षा को लेकर संजीदा दिखाई नही पड़ता है, गौरतलब है कि इन खदानो मे हीरे की सबसे बेहतर क्वालिटी मिलने की उम्मीद देश विदेश के भूवैज्ञानिको ने जताई थी