वन विभाग ने उड़ाया सूचना के अधिकार कानून का मजाक,केम्पा मद की जानकारी ना देने के लिये वनमण्डल अधिकारी ने किया नया धारा व उप धारा की उत्पत्ति- इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद एवं तीव सोनी
इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद एवं तीव सोनी
सर्वोच्च छत्तीसगढ़ गरियाबंद। सरकारी कार्यालयों में पारदर्शिता और कामकाज की जानकारी के लिए सूचना का अधिकार कानून बनाया गया है। केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2005 से सूचना का अधिकार अधिनियम लागू की गई है। इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी सरकारी विभाग से संबंधित जानाकारी हासिल कर सकता है। सिर्फ देश और राज्य की सुरक्षा,भारत की प्रभुसत्ता तथा अखंडता, सामरिक,वैज्ञानिक अथवा आर्थिक हितों पर व विदेशी संबंधों पर एवम अपराधों के उद्दीपन और केंद्र सरकार की विभिन्न जांच ब्यूरो की गोपनीय जांच से संबंधित सूचनाओं को छोड़कर आम नागरिक बाकी सभी जानकारी जो केन्द्रीय व राज्य सरकार के स्वामित्वाधीन नियंत्रणाधीन या उसके द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध कराई गई निधियों द्वारा वित्तपोषित है जी जानकारी प्राप्त कर सकते है।किन्तु ज्ञात हो कि आम नागरिक के लिए बनाया गया सूचना का अधिकार कानून का वन विभाग गरियाबंद अधिकारियों द्वारा इस कदर मजाक उड़ाया जा रहा है,की अपने विभाग की गोपनीयता बरकरार रखने के लिये नई धारा की भी उत्पत्ति की जा रही एक तरफ तो शासन प्रशासन आम जनता द्वारा कानून तोड़ने वालो के खिलाफ 24 घंटे संघर्ष में जुटी रहती है, वहीं दूसरी ओर विभाग अधिकारियों के ऊपर नैतिक जिम्मेदारियां होते हुए जनता के सेवक बनकर नहीं, अधिकारी जनता के लिए बनाए गए कानून को तोड़कर जनता और कानून का ही मजाक उड़ा रहे हैं।बताना लाजमी होगा कि छुरा के एक सामाजिक कार्यकर्ता के द्वारा दिनांक 18/10/2019 को वन मंडल अधिकारी गरियाबंद(मयंक अग्रवाल भा.व.से.) के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर केम्पा मद से किये गए कार्य और बिल बाउचर की जानकारी सूचना के अधिकार कानून के तहत सूचना मांगी थी।
किन्तु वनमण्डल अधिकारी द्वारा आपने कार्यालय के पत्र क्रमांक6357दिनांक 20-11-2019को पत्र जारी कर एक नई धारा 8(घ)(ञ)व उसकी उप धारा की उत्पत्ति कर यह उल्लेख किया गया है कि जानकारी थर्ड पार्टी से से संबंधित है जिसे प्रदाय किया जाना संभव नही है।वन मंडल अधिकारी द्वारा धारा 8 की कंडिका या परन्तुक या बिंदु क्रमांक को जोड़ जुगाड़ कर सूचना के अधिकार अधिनियम में एक नया धारा व उसकी उप धारा 8(घ)(ञ)बना दिया गया है।जो कि सूचना अधिकार अधिनियम का खुला मजाक है।जबकि इस तरह की धारा 8(घ)(ञ)सूचना के अधिकार में शामिल नही है।इतना ही नही छुरा के आर टी आई कार्यकर्ता द्वारा अन्य छ आवेदन में जो कि गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन नही करता है और ना ही अपने आवेदन में कोई गरीबी रेखा से संबंधित दस्तावेज या राशनकार्ड संलग्न नही किया था सांथ ही कार्यकर्ता द्वारा टीप के माध्यम से यहा भी स्पष्ठ उल्लेख किया गया था कि मैं गरीबी रेखा अंतर्गत नही हूँ उसके बाद भी वन मंडल अधिकारी द्वारा धारा 7(9) का हवाला देकर अपने कार्यालय के पत्र क्रमांक 3206 दिनांक 30-11-2019 एवम पत्र क्रमांक 3287 दिनांक 22-11-2019व पत्र क्रमांक 6833 दिनांक 29-11-2019 को पत्र जारी कर दिनांक 05-12-2019 को अवलोकन हेतु कार्यालय में अवलोकन हेतु बुलाया जाता है और जानबूझकर डाक के माध्यम से इतनी देरी से भेजा जाता है कि जिस दिनांक का उल्लेख होता उस तारीख के बाद आवेदक प्राप्त होता है जिससे आवेदक वन मंडल अधिकारी द्वारा निर्धारित की गई तिथि को कार्यालय पहुंचे ही नही सके।ज्ञात हो कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत गरीबी रेखा से जीवन यापन करने बाले प्रार्थी को 50 पेजो तक की जानकारी निशुल्क प्रदाय करने का प्रवधान है किन्तु जो गरीबी रेखा से जीवन यापन नही करते उन्हें सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 7 की उप धारा (5) के अधीन विहित शुल्क युक्तियुक्त होती है।लेकिन जानकारी उपलब्ध कराने और अपने विभाग की गोपनीयता बरकार रखने वन मण्डल अधिकारी गरियाबंद द्वारा अपनी मनमानी करते हुये सूचना के अधिकार कानून की धज्जियां उड़ा रहे है।जिससे केम्पा मद की जानकारी तक कोई पहुंच नही बना सके और अपनी मनमर्जी से जंगल राज चला सके।इसीलिए आवेदकों को चाही गई जानकारी नहीं दी जा रही इसके अतिरिक्त भी कई आवेदकों को सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत कई आवेदकों को चाही गई जानकारी नहीं दी जा रही है। जानकारी दी भी जाती है तो गलत और मनघड़ंत धारा की उत्पत्ति कर आवेदकों को भृमित किया जा रहा है। वन विभाग के इस जंगल कानूनी रवैये से ऐसा लगता है कि सूचना अधिकारियों द्वारा जान बूझकर जानकारी देने में हीलहवाला किया जाता है।वन विभाग के इस रवैये से ऐसा लगता है कि वन विभाग की ओर से आवेदकों को इतना परेशान किया जाय कि वह दोबारा आवेदन लगाने या अपील करने की सोच ही न सकें।आगे आर.टी. आई.कार्यकर्ता ने बताया ही कि सूचना के अधिकार के तहत मैंने धारा 19(1) तहत प्रथम अपील मुख्य वन संरक्षक रायपुर व्रत रायपुर के समक्ष प्रथम अपील कर दिया हूँ।
क्या कहते है अधिकारी
वन मंडल अधिकारी गरियाबंद मयंक अग्रवाल (भा.व.से.)से हमारे संवाददाता द्वारा रूबरू धारा 8(घ)(ञ)के संबंध में पुस्तक दिखाकर चर्चा करने पर उन्होंने कहा कि मैं अपने वकील दोस्तो से चर्चा कर 7दिवस में आपको बताता हूं और दरअसल मेरी हिंदी बीक (कमजोर)है।