ग्लोबल हंगर इंडेक्स में पाकिस्तान और नेपाल से भी पीछे क्यों है भारत

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ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index) में भारत ने 102वां रैंक हासिल किया है. 117 देशों की लिस्ट में भारत का नंबर 102वां है. ये हर लिहाज से चिंताजनक है. पिछले साल हमारा स्थान 103वां था. लेकिन एक बात ये भी थी कि पिछले साल लिस्ट में 119 देशों को शामिल किया गया था. इस लिहाज से देखें तो भारत का रैंक सुधरा नहीं है. दूसरे देशों से तुलना करने पर हमारी बदतर स्थिति का पता चलता है.

इतनी प्रगति के बावजूद हम कुपोषण से नहीं लड़ पा रहे. आज भी लोग भूखे सोने को मजबूर हैं. एक बड़ी आबादी को पौष्टिक खाना नहीं मिल रहा है. भूख के मसले पर हम लगातार पिछड़ते जा रहे हैं. ग्लोबल हंगर इंडेक्स में कई कैटेगरी में विभिन्न देशों को रखा गया है. इसमें ‘लो’ हंगर कैटेगरी से लेकर मॉडरेट, सीरियस, अलार्मिंग और एक्सट्रीमली अलॉर्मिंग की कैटेगरी है. भारत उन 47 देशों में शामिल हैं, जिन्हें सीरियस कैटेगरी में रखा गया है.

पूरी दुनिया में बढ़ रहे हैं भूखे लोग

2019 का ग्लोबल हंगर इंडेक्स भूखे लोगों के बढ़े हुए आंकड़े दिखाता है. 2015 में पूरी दुनिया में करीब 785 मिलियन यानी 78.5 करोड़ लोग भूखे थे. आज इनकी संख्या बढ़कर 822 मिलियन यानी 82.2 करोड़ हो गई है. भूखे लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. बताया जा रहा है कि 2030 तक करीब 45 देश लो हंगर रेट की कैटेगरी में आने में नाकाम रहेंगे. यानी तमाम कोशिशों के बावजूद दुनियाभर के देश अपने यहां की गरीबी को कम नहीं कर पा रहे.

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का स्थान

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत का रैंक लगातार खराब आ रहा है. इस मामले में ब्रिक्स देशों में भारत की स्थिति सबसे खराब है. दक्षिण एशियाई देशों में भी भारत की स्थिति खराब है. भारत की हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हंगर इंडेक्स में पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और नेपाल जैसे देश हमसे कहीं आगे हैं.

चीन का रैंक 25 है. सउदी अरब (रैंक 34), वेनेजुएला (रैंक 65), बुरकिना फासो (रैंक 88) और नॉर्थ कोरिया (रैंक 92) हमसे कहीं ऊपर हैं. भारत में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. भारत की इकोनॉमी दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी में से एक है. लेकिन ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हम छोटे-छोटे देशों से भी पिछड़ जा रहे हैं.

हमसे नीचे सिर्फ अफगानिस्तान, हैती और यमन जैसे देश हैं. इन देशों में या तो खराब तानाशाही शासन है या फिर ये युद्ध की चपेट में हैं. भारत में ऐसी कोई समस्या नहीं है फिर भी हम भूख के मामले में अव्वल हैं. हमारे यहां भूखों की भरमार है.

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में क्यों पिछड़ा है भारत?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत को 30.3 का ओवरऑल स्कोर मिला है. साल 2000 में भारत का स्कोर 38.8 था. उस वक्त हम अलार्मिंग कैटेगरी में थे. इस लिहाज से देखें तो इन 19 वर्षों में भारत ने अलार्मिंग की कैटेगरी से सुधार करके सीरियस की कैटेगरी में आया है. लेकिन ये भी निराशाजनक है.

भूख के मामले में विकास की गति धीमी है. इस लिहाज से बाकी देशों ने तेजी से विकास किया है. इसे हम दो देशों नाइजर और सियरा लियोन के उदाहरण से समझ सकते हैं. साल 2000 में हंगर इंडेक्स पर साउथ अफ्रीकी देश नाइजर का स्कोर 52.1 और सियरा लियोन का स्कोर 53.6 था. ये एक्सट्रीमली अलार्मिंग कैटेगरी वाले देशों में शामिल थे. इन देशों ने भारत से ज्यादा तेजी से प्रगति की है.

क्यों सुधार नहीं कर पा रहा है भारत?

ग्लोबल हंडर इंडेक्स की रेटिंग तय करने के लिए विभिन्न देशों को कई पैमाने पर उसका प्रदर्शन देखा जाता है. ऐसा ही एक पैमाना है- चाइल्ड वेस्टिंग. इस पैमाने पर बच्चों को उनकी उम्र के हिसाब से वजन मापा जाता है. इस पैमाने पर भारत की स्थिति सबसे खराब है. वेस्टिंग चाइल्ड के पैमाने पर 5 साल से कम उम्र वाले बच्चों का वजन मापा गया. साल 2010 में इस पैमाने पर भारत का स्कोर था-16.5. अब ये बढ़कर 20.8 हो गया है. इस पैमाने से यहां के बच्चों के भयानक तरीके से कुपोषण का शिकार होने का पता चलता है. इसकी वजह से भारत की रेटिंग पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है.

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