ईपीएस-पेंशन में वेतन सीमा व न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग की बीएमएस ने

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नई दिल्ली
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की ईपीएस -95 योजना में अंशदान के लिए वेतन सीमा 30 हजार रुपए प्रति माह तथा योजना के अंतर्गत न्यूनतम पेंशन पांच हजार रुपए प्रतिमाह करने की मांग की है।
बीएमएस के महामंत्री रविंद्र हिम्टे ने  यहां बताया कि श्रम, कपड़ा और कौशल विकास से संबंधित मामलों की संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष से कल देर शाम मजदूर संघ के एक प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात की। प्रतिनिधि मंडल ने स्थायी समिति को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, ईपीएस-95 पेंशन योजना और ईपीएफ कोष प्रबंधन के बारे में सलाह और सिफारिश से दी गई।

ज्ञापन में बीएमएस ने कहा है कि ईपीएफओ के दायरे में देश के समस्त उद्योग धंधों को लाया जाना चाहिए और कर्मचारियों की संख्या सीमा 20 से घटकर 10 कर देनी चाहिए। विभिन्न राज्यों में पुलिस बलों की सहायता के लिए होमगार्ड जवानों और केंद्रीय योजनाओं में काम करने वाली आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तथा घरेलू कामगार और गिग कर्मचारियों को भी ईपीएफओ के दायरे में लाने की मांग की गई‌ है।
ज्ञापन में कहा गया है कि ईपीएस पेंशन योजना में वेतन की मौजूदा सीमा को 15 हजार रुपए प्रति माह से बढ़ाकर 30 हजार रुपए प्रतिमाह कर देना चाहिए। इसी तरह ईपीएस‌ पेंशन योजना के अंतर्गत न्यूनतम पेंशन एक हजार रुपए प्रतिमाह से बढ़ाकर पांच हजार रुपए प्रतिमाह होनी चाहिए और सभी पेंशन धारकों को स्वास्थ्य बीमा योजना में शामिल किया जाना चाहिए। ईपीएस-95 पेंशन को मुद्रास्फीति के सूचकांक से जोड़ा जाना चाहिए।

विधवा पेंशन की राशि भी बढ़ाई जानी चाहिए।
बीएमएस ने कहा कि केंद्र सरकार और कई राज्यों ने न्यूनतम वेतन सीमा बढ़ा दी है इसलिए ईपीएस-95 योजना में भी वेतन सीमा बढ़ाई जानी चाहिए।

ईपीएफ से संबंधित मामलों के जल्दी निपटारा करने की मांग करते हुए बीएमएस ने कहा कि ईपीएफओ के जिला कार्यालयों को मजबूत बनाया जाना चाहिए। कर्मचारियों के दावों का निपटारा क्षेत्रीय कार्यालय में होता है। यह अधिकार जिला कार्यालय को दिया जाना चाहिए। क्षेत्रीय कार्यालय में सामान्य तौर पर 8 से 10 लाख कर्मचारी संबद्ध हैं। इसे घटाकर तीन से चार लाख कर्मचारी किया जाना चाहिए। इससे कर्मचारियों की शिकायत और दावों का निपटारा जल्दी होगा और प्रबंधन में आसानी होगी।

 

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