देवभोग ब्लॉक के आठ समितियों में 2 करोड़ 32 लाख 68 हजार 163 रुपये के धान का सुखत पाया गया
कृष्ण कुमार त्रिपाठी अमलीपदर
संवाददाता कृष्ण कुमार त्रिपाठी उपजिला ब्यूरो गरियाबंद। देवभोग ब्लॉक के आठ समितियों में 2 करोड़ 32 लाख 68 हजार 163 रुपये के धान का सुखत पाया गया हैं। वहीं आठों समितियों में सबसे ज्यादा सुखत झाखरपारा समिति में मिला हैं। यहां की समिति में 1103.82 किवंटल धान में सुखत कमी होना पाया गया हैं। यहां समिति से करीब 21 लाख 41 हजार 410 रुपये वसूली किया जाना हैं। इसी क्रम में सुखत में कमी को लेकर दूसरे स्थान पर दीवानमुड़ा समिति हैं। दीवानमुड़ा समिति में 1102 किवंटल सुखत का कमी मिला हैं। समिति से करीब 21 लाख 37 हजार 880 रुपये वसूली किया जाना हैं। वहीं तीसरे स्थान पर खोखसरा समिति में 905 किवंटल का सुखत में कमी मिला हैं। यहां समिति से 17 लाख 55 हजार 700 रुपये वसूली किया जाना हैं। वहीं चौथे स्थान पर देवभोग समिति में करीब 672.99 किवंटल कमी सुखत पाया गया हैं। यहां समिति से करीब 13 लाख 5 हजार 600 रुपये की वसूली की जानी हैं। वहीं पांचवें नम्बर पर लाटापारा समिति में करीब 657.79 किवंटल धान में सुखत में कमी पाया गया हैं। यहां समिति से करीब 12 लाख 76 हजार 112 रुपये वसूली की जानी हैं। इसी क्रम में रोहनागुड़ा समिति में 570.36 किवंटल धान का सुखत पाया गया हैं। यहां समिति से 11 लाख 06 हजार 498 हजार वसूली किया जाना हैं। वहीं निस्टिगुड़ा समिति में करीब 385.85 किवंटल धान का सुखत मिला हैं। यहां समिति से करीब 7 लाख 48 हजार 549 रुपये वसूली किया जाना हैं। वहीं गोहरापदर समिति में 347.43 किवंटल धान का सुखत मिला हैं। यहां समिति से 6 लाख 74 हजार 14 रुपये की वसूली की जानी हैं। वहीं झिरिपानी समिति में 251.60 किवंटल धान का सुखत मिला हैं। यहां समिति से 4 लाख 88 हजार 104 रुपये का वसूली किया जाना हैं। वहीं सुखत को लेकर झाखरपारा समिति के अध्यक्ष असलम मेमन ने कहा कि जब हमने 72 घंटे में धान के उठाव का एग्रीमेंट किया था, तो शासन द्वारा 72 घंटे के अंदर उठाव क्यों नहीं किया गया। यदि 72 घंटे में धान का उठाव होता तो इतना सुखत नहीं आता। मेमन ने कहा कि इस बार हर समिति में सुखत एक से डेड़ प्रतिशत का हैं, जबकि इससे पहले भी जब तीन प्रतिशत तक के सुखत को शासन मान्य करती थी। वहीं खरीदी दिसम्बर में शुरू हुई और उठाव मार्च महीने तक नहीं हुआ। ऐसे में डेढ़ से दो प्रतिशत सुखत आना जायज हैं। वहीं देवभोग समिति के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने भी कहा कि यदि समय पर उठाव होता तो इतना सुखत नहीं आता। विनोद ने कहा कि दिसम्बर में खरीदे हुए धान को मार्च महीने के अंतिम तक में उठाया गया, ऐसे में सुखत आना स्वभाविक बात हैं।