उनके चट्टानी हौसले से हिमालय भी झुका ! कैसे मजदूरों ने अपने रेस्क्यू में की एक दूसरे की मदद

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नई दिल्ली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरंग से 17 दिन बाद सुरक्षित बाहर निकाले गए मजदूरों से फोन पर बातचीत की है। पीएम मोदी ने सफल रेस्क्यू पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए इसे बाबा केदार और भगवान बद्री की कृपा बताई। पीएम मोदी ने सुरंग में मजदूरों का नेतृत्व करने वाले गबर सिंह और शबा अहमद से बातचीत की। शबा और गबर ने भी अंदर बिताए दिनों के अनुभव पीएम मोदी के साथ साझा किए।

पीएम मोदी ने शबा से बातचीत करते हुए कहा, 'सबसे पहले मैं आपको बधाई देता हूं कि इतने संकट के बाद भी निकल पाए। मेरे लिए तो बहुत खुशी की बात है, मैं शब्दों में वर्णन भी नहीं कर सकता हूं। वरना कुछ भी बुरा हो जाता तो शायद मन को कैसे संभाल पाते कहना कठिन था। यह केदारनाथ बाबा की, बद्रीनाथ भगवान की कृपा रही कि आप लोग सकुशल रहे हैं।'

पीएम मोदी ने कहा, '16-17 दिन समय कम नहीं होता। आप लोगों ने बहुत हिम्मत दिखाई और एक दूसरे का हौसला बनाए रखा। क्योंकि ऐसे समय, रेलवे के डिब्बे में भी साथ साथ चलते हैं तो कभी ना कभी तो तू-तू-मैं-मैं हो जाती है। लेकिन उसके बावजूद भी आपने धैर्य रखा। मैं लगातार जानकारियां लेता रहा था, मुख्यमंत्री से भी संपर्क में रहता था। मेरे पीएमओ के अफसर वहां बैठे थे। लेकिन चिंता तो कम होती नहीं है, जानकारियों से समाधान तो होता नहीं है। जितने भी श्रमिक निकलकर आए हैं, उनके परिवार का पुण्य भी काम आया है।'

 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमें जानकारियां रहती थीं, लेकिन चिंता तो कम होती नहीं है.जानकारियों से समाधान तो होता नहीं है. वहां जितने भी श्रमिक निकलकर आए हैं, उन सबके परिवार का पुण्य भी काम आया है, जिससे वे इस संकट की घड़ी से बाहर निकलकर आए हैं.

पीएम से बात करते हुए सबा अहमद ने कहा कि हम लोग इतने दिनों तक टनल में फंसे रहे, लेकिन हम लोगों को एक दिन भी ऐसा कुछ भी एहसास नहीं हुआ कि हम लोगों को कुछ ऐसी कमजोरी हो रही है या कोई घबराहट हो रही है. टनल के अंदर हमें ऐसा कुछ नहीं हुआ. वहां 41 लोग थे, और सब भाई की तरह रहते थे. किसी को भी कुछ हो तो हम लोग एक साथ रहते थे. किसी को कोई दिक्कत नहीं होने दी.

 

तमाम दुश्वारियों के बीच डटे रहे श्रमिक

सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों के बाहर निकालने के बाद उनकी अनकही कहानियां सामने आ रही हैं। इस सफल रेस्क्यू ऑपरेशन में बचाव दल ने बड़े पैमाने पर अभियान चलाया। इस दरम्यान 41 श्रमिकों ने अपना योगदान दिया। अक्सर कम भोजन, नींद पूरी न होने और सुरंग में फंसे होने की चिंता के बीच रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे लोगों का उन्होंने पूरा सहयोग दिया। रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे अधिकारी ने बताया कि फंसे हुए श्रमिकों ने तीन अलग- अलग दिशाओं से ड्रिलिंग कार्य के बीच ऑक्सीजन पाइप को सही तरीके से लगाए जाने और सिक्यूरिटी प्वाइंट बनाने में सहायता की। यह ऑपरेशन के लिए सबसे अहम था।

रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे एक अधिकारी ने बताया कि श्रमिक आवश्यक उपकरणों से लैस थे। उन्होंने दृढ़ संकल्प और अनुशासन का प्रदर्शन किया। उन 41 लोगों ने यह सुनिश्चित किया कि बचाव टीमों की ओर से उन्हें जो भी काम सौंपे जा रहे हैं, उन्हें पूरा किया जाना है। इससे अभियान में गति मिली।

अनुशासन ने श्रमिकों को रखा स्वस्थ

टनल में 17 दिनों तक फंसे रहने पर मजदूरों में बीमारी का खतरा बढ़ गया था। इस स्थिति में तमाम मजदूरों ने जमीनी स्थिति का आकलन करने के बाद मेडिकल टीम की ओर से बनाए गए स्ट्रैटेजी का पालन किया। मजदूरों ने खुद को भीतर के माहौल के अनुकूल ढाला। उन्होंने खुद को व्यवस्थित किया। इस स्थिति से निपटने के लिए खुद को तैयार किया। एक बेहतर रिजल्ट की आशा के साथ सकारात्मक बने रहे। सुरंग में फंसे मजदूरों की मानसिक स्थिति को बेहतर बनाए रखने में मानसिक परामर्शदाता डॉ. रोहित गोंडवाल ने बड़ी मदद की। डॉ. गोंडवाल कहते हैं कि फंसे लोगों ने अपने आपको इस विषम परिस्थिति में भी शांत रखा। उन्होंने अनुशासन के उच्चतम स्तर को प्रदर्शित करने के लिए श्रमिकों की सराहना की।

हिम्मत की हो रही है तारीफ

उत्तरकाशी सुरंग में फंसे श्रमिकों के योगदान की भी डॉ. गोंडवाल तारीफ करते हैं। उन्होंने कहा कि आपदा के बीच सुरंग में फंसे हुए श्रमिकों के बीच एकता उभरकर सामने आई। उन्होंने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि 41 श्रमिकों में से किसी ने भी इन परिस्थितियों में हार नहीं मानी। काम में योगदान देने से इनकार नहीं किया। इतने दिनों के दौरान उनमें से किसी ने भी आपस में लड़ाई नहीं की। उनमें छोटी सी भी झड़प नहीं हुई। सुरंग के बाहर बचाव टीमों के निर्देशों के सफल निष्पादन के लिए उनका संयम और सहयोग महत्वपूर्ण था।

बचाव अभियान में अग्रिम पंक्ति के एक कर्मी ने श्रमिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए अपनाई गई रणनीति के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि जब भी हमें लगा कि सुरंग के अंदर हमारे लोग उदास और निराश लग रहे हैं। हमने उन्हें खुशमिजाज तरीके से काम करते रहने का निर्देश दिया, ताकि वे हमारे निर्देशों के अनुसार काम करते रहें।

मजदूरों ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

श्रमिकों की दूरदर्शिता और धैर्य पर प्रकाश डालते हुए उत्तरकाशी जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा कि फंसे श्रमिकों को किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति के लिए तैयार रहने के लिए अपने खाद्य पदार्थों और प्रसाधनों को स्टॉक करने के लिए कहा गया था। फंसे लोगों ने निराश न होते हुए धैर्यपूर्वक उन वस्तुओं को एकत्र किया। उसको स्टॉक किया। उन्होंने कभी भी मानसिक या शारीरिक रूप से थक जाने का कोई संकेत नहीं दिखाया। इसने उनके बचाव अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मजदूरों को इंगेज करने के लिए बचाव दल उनके साथ हंसी- मजाक भी करते रहे। इससे मजदूरों को अपनी तरफ के काम को करने में कोई दिक्कत नहीं हुई। बचाव दल के एक सदस्य ने कहा कि फंसे श्रमिकों में से एक ने रात के खाने में चिकन मांगा था। मैंने उसे बाहर निकलने पर चिकन पार्टी देने का वादा किया। शर्त रखी कि ऑक्सीजन पाइप को सुरंग में स्थापित करने का काम वह बेहतर तरीके से पूरा करे।

 

सबा अहमद ने कहा कि खाना आता था तो हम लोग मिलजुल के एक जगह बैठ के खाते थे. रात में खाना खाने के बाद सभी को बोलते थे कि चलो एक बार टहलते हैं. टनल का लेन ढाई किलोमीटर का था, उसमें हम लोग टहलते थे. इसके बाद मॉर्निंग के समय हम सभी से कहते थे कि मॉर्निंग वॉक और योगा करें. इसके बाद सभी हम वहां योगा करते थे और घूमते टहलते थे, ताकि सभी की सेहत ठीक बनी रहे.

इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी से फोरमैन गब्बर सिंह ने बात की. पीएम मोदी ने कहा कि गब्बर सिंह मैं तुम्हें विशेष रूप से बधाई देता हूं. मुझे मुख्यमंत्री हर रोज बताते थे. आप दोनों ने जो लीडरशिप दिखाई है, और जो टीम भावना दिखाई, मुझे लगता है कि शायद किसी यूनिवर्सिटी को एक केस स्टडी तैयार करनी पड़ेगी कि गब्बर सिंह नेगी में वो कौन सी लीडरशिप क्वालिटी हैं, जिनसे ऐसे संकट के समय में ने पूरी टीम को संभाला. इस पर प्रधानमंत्री मोदी से गब्बर सिंह ने कहा कि आप सभी लोगों ने मेरा हौसला बढ़ाया. मुख्यमंत्री हमारे संपर्क में बने रहते थे.

गब्बर सिंह ने कहा कि कंपनी ने भी कहीं कोई कसर नहीं छोड़ी. केंद्र और राज्य सरकार ने हौसला बढ़ाए रखा. हमारे बौखनाग बाबा में हमें बहुत विश्वास था. हमारे सभी दोस्तों का शुक्रिया, जिन्होंने मुश्किल की घड़ी में हमारी हर बात सुनी और हौसला बनाए रखा.

पीएम मोदी ने कहा कि आप सबके परिजन बहुत परेशान थे. पूरे देश के 140 करोड़ लोगों को चिंता थी. हमसे भी लोग खबर पूछते थे. आप सबके परिजन भी बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने ऐसी संकट की घड़ी में संयम बरता और पूरा सहयोग किया.

पीएम मोदी ने कहा कि आपमें से ऐसा कोई था, जिन्होंने ऐसी परेशानी को पहले फेस किया हो, और जिनका कोई अनुभव काम आया हो. इस पर गब्बर सिंह ने कहा कि एक बार मैं सिक्किम था, तब लैंडस्लाइड हो गया था. उस समय भूकंप आ गया था. उस समय हम फंसे थे.

पीएम मोदी ने कहा- पूरी दुनिया में खुशी है

प्रधानमंत्री मोदी से उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के रहने वाले अखिलेश ने भी बात की. अखिलेश ने पीएम मोदी से कहा कि हमें सुरंग के अंदर कोई भी समस्या नहीं होने दी गई. सभी हमारा हौसला बढ़ाते रहे. खाने पीने की कोई कमी नहीं रहने दी गई. पीएम मोदी ने कहा कि सभी श्रमिकों के सुरक्षित निकल आने के बाद पूरे भारत के साथ ही पूरी दुनिया में खुशी है.

मोदी ने कहा कि अभी जी20 समिट थी, उसमें पूरी दुनिया के नेता उत्तराखंड की इस घटना को लेकर चिंता व्यक्त कर रहे थे. सारा हिंदुस्तान आपके साथ था. पीएम मोदी ने अखिलेश से पूछा कि अंदर आपको दिन रात का पता चलता था? इस पर अखिलेश ने कहा कि हम लोग मोबाइल से टाइम देखकर पता कर लेते थे. बाद में हमें मोबाइल चार्जर भेज दिया गया, जिससे हम लोगों का मनोरंजन भी हो जाता था. 

बिहार के छपरा जिले के सोनू कुमार से भी प्रधानमंत्री मोदी ने बात की. सोनू ने सभी का शुक्रिया अदा किया. पीएम मोदी ने कहा कि आप लोगों का धैर्य लोगों को प्रेरणा देगा कि संकट के समय में किस तरह से संयम बनाए रखना चाहिए. पीएम मोदी से बात करने के बाद श्रमिकों ने 'भारत माता की जय' के नारे भी लगाए. 

12 नवंबर को धंस गई थी सिल्क्यारा सुरंग

सिल्क्यारा सुरंग में 12 नवंबर को सुरंग धंसने से 41 मजदूर फंस गए थे. इन्हें सुरक्षित बाहर निकालने का अभियान बार-बार नाकाम हो रहा था, लेकिन हार नहीं मानी गई. रेस्क्यू के लिए अमेरिका की ऑगर मशीन का इस्तेमाल किया गया, लेकिन इसके टूट जाने के बाद रैट माइनर्स ने बचे हुए मलबे को खोदकर बाहर निकाला. इसके बाद मंगलवार की शाम सभी मजदूरों को पाइप के जरिए सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.

 

 

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