राम मंदिर निर्माण समिति की दबंगई , तीन दुकानों का 64,000 किराया लेने के बावजूद ग्वाला ग्रुप को किया जा रहा है मानसिक रूप से परेशान…

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राम मंदिर निर्माण समिति की दबंगई , तीन दुकानों का 64,000 किराया लेने के बावजूद ग्वाला ग्रुप को किया जा रहा है मानसिक रूप से परेशान..

राजधानी रायपुर के वीआईपी रोड पर स्थित राम मंदिर अपनी आभा और बनावट के लिए जहां श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है वहीं इस मंदिर निर्माण समिति से ग्वाला ग्रुप और उससे जुड़े 55 परिवार मानसिक रूप से परेशान बताए जा रहे हैं ,

ग्वाला ग्रुप को मंदिर समिति की जमीन पर बने तीन दुकानों को किराए पर लेकर संचालित करते हुए आज पौने दो साल का समय बीत चुका है, इस दौरान ग्वाला ग्रुप ने प्रतिमाह 64,000 बतौर किराया मंदिर निर्माण समिति को देता आया है , जबकि वह जमीन और उसके पीछे की 7 एकड़ जमीन भी महंत रामसुंदर दास ट्रस्ट की है और उसका किराया राम मंदिर निर्माण समिति को प्रदान किया जाता है

ग्वाला ग्रुप के संचालक विनय भार्गव ने बताया कि उन्होंने यह दुकाने 6 लाख रुपये पगड़ी देकर ली है, बीते वर्ष से वे अपने संस्थान में सनातन धर्म की देखरेख के उद्देश्य से परिसर में राम भजन बजाकर लोगों में धार्मिकता की अलख जगाने का काम किया है ,

इसके अलावा धार्मिक गायन गाने पर निशुल्क मिठाई का वितरण भी वे करते रहे हैं साथ ही डिफेंस से जुड़े हमारे देश के सैनिकों को वे अपने होटल में फ्री चाय और नाश्ता वितरित करते हैं ,

इन सब कारणों के चलते रायपुर की जनता का भरपूर प्रेम और स्नेह उन्हें मिलने लगा और वे तरक्की के नए आयाम गढ़ने लगे , यही तरक्की और उन्नति राम मंदिर निर्माण समिति के सदस्यों को रास नहीं आई और वे बेतुके बहाने बनाकर उनकी दुकान के सामने खाली पड़ी जमीन पर कंस्ट्रक्शन का काम शुरू करवा दिया साथ ही उस वॉशरूम पर भी ताला लगा दिया जहां ग्वाला ग्रुप में कार्यरत महिलाएं और युवतियां लघुशंका के लिए जाया करती थी उक्त बातें ग्वाला ग्रुप के संचालक विनय भार्गव ने कही, विनय ने यह भी बताया कि उन पर इस संस्थान को शुरू करने के लिए लिए गए लाखों रुपए के लोन का कर्ज है ,

उन्होंने बताया कि उन्हें दुकान खाली करने का नोटिस भी आया है लेकिन वे कहते हैं कि अपने और उन 55 परिवारों पर आने वाले संकट से लड़ने के लिए वे सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे , उन्होंने आरोप लगाया कि राम मंदिर निर्माण समिति के सदस्य उनकी तरक्की को देखकर दबंगई पूर्ण रवैया अपना रहे हैं जो सामाजिक नहीं है किसी भी समस्या का समाधान मध्यस्था से संभव है दबंगई से नहीं।

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