कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, ढोलिया, बेमेतरा में ड्रेगन फ्रूट की खेती में शुरू हुआ अनुसंधान
कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, ढोलिया, बेमेतरा में ड्रेगन फ्रूट की खेती में शुरू हुआ अनुसंधान कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, ढोलिया, बेमेतरा में क्षेत्र के लिए ड्रेगन फ्रूट अनुकूलता एवं अन्य घटकों के संबंधी अनुसंधान विगत 3 वर्षों से डाॅ. के. पी. वर्मा, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय के सफल निर्देशन में कुंती बंजारे, वैज्ञानिक, उद्यानशास्त्री के द्वारा किया जा रहा है। अनुसंधान प्रक्षेत्र के मिट्टी काफी हल्की, जल निकास वाली एवं मुरूमी व भाटा मिट्टी है। इस मिट्टी में लाल से लाल प्रजाति लगायी गयी है और अभी तक पौधों की बढ़वार अच्छी है एवं पौधों के अनुसार दो से चार किलो प्रति पेड़ उपज प्राप्त हो रही है। इस फसल को उन सभी जगहों पर लगाया जा सकता है जहाँ पर पानी बहुत कम है, मिट्टी हल्की है। जहां जानवरों एवं बंदरों का प्रकोप ज्यादा है उन क्षेत्रों में इसकी खेती सफलता पूर्वक की जा सकती है क्योंकि इसका पौधा काँटेंदार होता है। यह लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में लगायी जा सकती है मगर रेतीली दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए अच्छी है। 25 से 40 डिग्री तापमान इसके वृद्धि के लिए आवश्यक है। आज के परिवेश में जहां हर फसल में दवाइयों का बेतहासा उपयोग हो रहा है जो हमारे स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचा रहा है। इस फसल को उगाने के लिए बहुत की कम रासायनिक खादों की आवश्यकता होती है एवं रोग-व्याध भी कम लगते हैं। यह फसल जैविक खेती के लिए बहुत ही उपयुक्त है, क्योंकि सामान्य कंपोस्ट खाद देकर भी अच्छी फसल ली जा सकती है। किसी भी फसल के उत्पादन के लिए उचित मात्रा में पानी की उपलब्धता एवं अच्छी गुणवत्ता वाली मिट्टी की आवश्यकता होती है। ऐसी मिट्टी में फसल लगाने से किसानों को 1 से 2 लाख रूपये तक का मुनाफा प्राप्त होता है, मुरूमी, हल्की, भाटा मिट्टीयों में फसल लगाने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है लेकिन ऐसी मिट्टी में ड्रेगन फ्रूट की फसल को लगाकर काफी लाभ कमाया जा सकता है। यह फल बाजार में 80 से 200 रूपये प्रति कि.ग्रा. से अधिक मूल्य में बिकते हंै। कम से कम मूल्य (80रूपये) में बेचने पर 5 से 6 लाख रूपये प्रति हेक्टेयर शुद्ध आय किसान कमा सकते हैं। ड्रेगन फ्रूट एक उष्ण कटिबंधीय (ट्रोपीकल) फल है। यह कैक्टस फैमिली का पौधा है जिसे पिताया नाम से भी जानते हैं। इसकी खेती थाइलैंड देश में व्यापक पैमाने में की जाती है जो अब भारत के कुछ राज्यों में भी हो रही है। लाल रंग का यह विदेशी फल दिखने में काफी सुंदर, स्वादिष्ट एवं मीठा होता है, जिसका स्वाद किवी और नाशपती फल के समान ही होता है। डेªगन फ्रूट को सुपर फ्रूट भी कहा जाता क्योंकि इसके बहुत से स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यह ब्लडप्लेटलेट्स को बढ़ाने में बहुत ही फायदेमंद है। इसमें जीरो फैट, फाइबर (3ग्राम/100गा्रम) एंटी-आॅक्सीडेंट्स, प्रोटीन (1.2 ग्राम), आयरन (4 प्रतिशत), मैग्नीशियम(10 प्रतिशत), तथा विटामिन सी (3 प्रतिशत), प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। इसका उपयोग शराब (वाॅइन), जैम-जेली बनाने में भी किया जाता है। इसकी खेती एक आधुनिक खेती है, जिसमें खर्च कम लगता है। इसका फूल तीन हफ्तों में फल में बदल जाता है। ये रात को ही बढ़ता है, इसलिए इसके फूल को रात की रानी भी कहते हैं। ये फल लाल, गुलाबी तथा पीले रंग के होते हैं। लाल गुदा वाला फल ज्यादा अच्छा तथा स्वादिष्ट होता है और बाजार में लाल किस्म को ज्यादा पसंद किया जा रहा है तथा इसकी बाजार मांग भी ज्यादा है। अन्य फलों की तुलना में इस फल को लंबे समय तक भंडारित किया जा सकता है। संवाददाता:- खेलन सोनवानी सर्वोच्च छत्तीसगढ़