छत्तीसगढ़

बहु के साथ अभद्रता करने वाला जेठ जेल दाखिल , ( जिला संवाददाता – उरेन्द्र कुमार साहू )

गरियाबंद | जिले में भाई बहु से लगातार झगड़ा करने वाला जेठ समझाइश के बाद भी जब नही माना तो...

थाना फिंगेश्वर का श्रीमान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महोदय श्रीमान सुखनंदन राठौर द्वारा किया गया आकस्मिक निरीक्षण- इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद

इतेश सोनी गरियाबंद । आज श्रीमान पुलिस अधीक्षक महोदय गरियाबंद भोजराम पटेल के निर्देशन पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुखनंदन राठौर...

कोरोना से एक और मौत , नवापारा लॉकडाउन , अन्य जगहों पर भी मांग ( जिला संवाददाता – उरेन्द्र कुमार साहू )

राजिम | जिले में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे है । साथ ही कोरोना के चलते मौत के...

जिप. व जप .जनप्रतिनिधियों ने की 15 दिनों के पूर्ण लॉकडाउन की मांग ,( जिला संवाददाता – उरेन्द्र कुमार साहू )

गरियाबंद | जिला पंचायत सदस्यों तथा जनपद अध्यक्ष व सदस्यों ने सोमवार पूर्ण को कलेक्टर से मुलाकात कर जिले में...

गरियाबंद में 23 से 30 सितंबर तक लॉकडाउन, जिले सीमाओं को किया गया सील, सिर्फ मेडिकल सर्विसेज को मिलेगी छूट

इतेश सोनी गरियाबंद: छत्तीसगढ़ में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, प्रदेश के अलग-अलग जिलों से रोजाना सैकड़ों...

बच्चो पर आर्थिक बोझ , ग्रामीण क्षेत्र के बच्चो को नियम संशोधन की जानकारी नहीं हो पा रहा है हीरालाल साहू ,जिला संवाददाता उरेंद्र कुमार साहू

राजिम | परीक्षार्थियों को बार बार दिग्भमित करने के साथ साथ आर्थिक बोझ छात्रसंघ अध्यक्ष हीरालाल साहू ने कहा कि...

एन.एच.एम. द्वारा की जा रही हड़ताल को प्रगतिशील महासंघ तथा दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ का समर्थन

रायपुर। वर्तमान में दिनांक 19.09.2020 से एन.एच.एम. संघ द्वारा नियमितिकरण हेतु अनिश्चितकालीन हड़ताल की जा रही है। छ.ग.प्रदेश में सत्ताधारी...

केंद्र सरकार का कृषि विधेयक में किसानों के हित में नहीं – संजय नेताम ( इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद )

इतेश सोनी गरियाबंद - किसानों के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाये गये 3 कृषि विधेयकों को लेकर कांग्रेस ने केंद्र...

राष्टीय स्वास्थ्य मिशन के हड़ताल पर गए संविदा कर्मचारियों को 24 घण्टे के भीतर ड्यूटी पर लौटने नोटिस- इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद

इतेश सोनी गरियाबंद । गरियाबंद 20 सितम्बर 2020/ कलेक्टर छतर सिंह डेहरे ने सभी संविदा एनएचएम स्वास्थ्य अधिकारी-कर्मचारियों को जोअनिश्चितकालीन...

कॉलेज प्रबंधन परीक्षा फीस वापस करें- गजानन कश्यप ( इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद )

इतेश सोनी गरियाबंद देवभोग - अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद देवभोग ईकाई के नगर अध्यक्ष गजानन कश्यप एवं नगर मंत्री हेमंत...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।