बच्चो पर आर्थिक बोझ , ग्रामीण क्षेत्र के बच्चो को नियम संशोधन की जानकारी नहीं हो पा रहा है हीरालाल साहू ,जिला संवाददाता उरेंद्र कुमार साहू
राजिम | परीक्षार्थियों को बार बार दिग्भमित करने के साथ साथ आर्थिक बोझ छात्रसंघ अध्यक्ष हीरालाल साहू ने कहा कि जो पंडित रविशंकर यूनिवर्सिटी के द्वारा परीक्षा के लिए जारी दिशा निर्देश जो यूनिवर्सिटी परीक्षा प्रारूप तैयार कर रहे है वो विद्यार्थियो को दिग्भर्मित करने वाला चल रहा है हर रोज नये नये नियम कानून बदलते जा रहे जिससे विद्यार्थियों को गुमराह करने जैसा हो रहा है
सभी विद्यार्थियों में 80 % बच्चे ग्रामीण छेत्रो से है जिनको नियम संसोधन का जानकारी नही हो पा रहा जिनके कारण परेशानियां झेलना पड़ रहा तथा, छत्तीसगढ़ के बहुत से जिलो में सरकार द्वारा लॉकडाउन करने की घोषणा कर दिया गया है जिसके चलते उत्तरपुस्तिका लेने के लिए बहुत ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा , तथा डाक घरों में विद्यार्थी उत्तरपुस्तिका जमा करने जायेंगे तो, वहाँ भीड़ बहुत ज्यादा होने से सोशल डिस्टनसिंग के सभी नियम कानून को पालन करने में विद्यार्थियों अशमर्थ होगा जिससे कोरोना संक्रम का फैलाव के अनुपात में बढ़ोतरी देखने को मिलेगा उसके अलावा डाक के माध्यम से भेजने का खर्च का बोझ भी परीक्षार्थियों पर पड़ेगा
जहां एक तरफ सरकार यूनिवर्सिटी सभी से परीक्षा करवाने के लिए शुल्क ले चुकी है । अगर डाक के माध्यम से भेजेंगे और स्वयं परीक्षार्थी उत्तरपुस्तिका खरीदेंगे तो, परीक्षा शुल्क किस लिए लिया गया है
साहू जी ने परीक्षा फीस वापस किये जाने की बात कही तथा महाविद्यालय के नजदीक में रहने वाले बहुत से परीक्षार्थियों को भी महाविद्यालय से गुजर कर डाक घर जा कर, महाविद्यालय के नाम से भेजना पड़ेगा जबकि उसके लिए महाविद्यालय नजदीक है।
डाक सेवा, कोरियर के विकल्प के साथ साथ महाविद्यालय में भी जमा करने का विकल्प होना की मांग की है तथा
महाविद्यालयो में सभी अलग अलग कक्षा के लिए अलग अलग समय और सुविधा के साथ कोरोना वायरस से बचाव के नियमो का पालन कराने की पूर्ण व्यवस्था के साथ एक साथ सभी उत्तरपुस्तिका को जमा कराया जाये
अगर इस प्रक्रिया में अधिक समय लगता है तो समय सीमा आवश्यकता अनुसार बढ़ाया जाए छत्तीसगढ़ सरकार तथा शिक्षा मंत्री वा
पंडित रविशंकर यूनिवर्सिटी के माननीय कुलपति जी से निवेदन किया है कि छात्र हित और परीक्षार्थियों के समस्याओं का जल्द ही निराकरण करते हुए अपने आदेश पर पुनः विचार कर आवश्यक सुधार करे।
अगर तीन दिन के अंदर मांग तथा बात को नही सुना गया तो परीक्षार्थियों के हित में उग्र आंदोलन किया जायेगा।।