समाज सेविका दिवंगत देवबती साहू के द्वितीय निर्वाण दिवस पर काव्य संध्या संपन्न . बरसी के सूरता. मां की कोई परिभाषा नहीं होती. मां अपरिभाषित होती है..
बालोद. गुरूर... गत दिवस दिवंगत समाज सेविका मातोश्री देवबती साहू के द्वितीय निर्वाण दिवस पर सुरता महतारी के काव्य संध्या...