समाज सेविका दिवंगत देवबती साहू के द्वितीय निर्वाण दिवस पर काव्य संध्या संपन्न . बरसी के सूरता. मां की कोई परिभाषा नहीं होती. मां अपरिभाषित होती है..
बालोद. गुरूर… गत दिवस दिवंगत समाज सेविका मातोश्री देवबती साहू के द्वितीय निर्वाण दिवस पर सुरता महतारी के काव्य संध्या का आयोजन प्रोफे0 के. मुरारी दास के निर्देशन में किया गया . काव्य संध्या के मुख्य अतिथि द्वय थे- श्री बीआर साहू छत्तीसगढ़ शासन पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व सचिव दुर्ग व छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कवि एवं गीतकार श्री शिवकुमार अंगारे मटिया बंगला बालोद.
कार्यक्रम की शुरुआत धीरज कांत की सुमधुर क्लासिकल सांगीतिक स्वागत गान से हुआ. तत्पश्चात देवबती साहू के व्यक्तित्व व कृतित्व पर आयोजक प्रोफे. के मुरारी दास ने संक्षिप्त परिचयात्मक जानकारी दी.
काव्य संध्या में उपस्थित अधिकांश कवियों ने मां पर ही केंद्रित काव्य पाठ प्रस्तुत कर मार्तु प्रधान वातावरण के निर्माण करनें में सफल रहे. पूर्व शिक्षा अधिकारी एवं हिंदी उर्दू पर पकड़ रखने वाले श्री जी.के साहू ने अपनी रचनाओं में मां को कुछ इस तरह संबोधित किया –
क्या कहते हो, क्या होती है मां. हर डर में हां होती है मां. उसकी हर किलकारी पर जान छिड़कती है मां. मुस्कान ऊपर मुस्काती है, कभी लोरी भी उसकी बन जाती है मां
सुप्रसिद्ध गीतकार एवं कवि श्री शिव कुमार अंगारे ने मां के प्रति अपनी काव्यात्मक संवेदना कुछ इस प्रकार व्यक्त किया-
ओखर गारी ह घलो वरदान होथे, दाई-ददा मया के खदान होथे, जब तक मूड़ी मां दाई के अंचरा तब लईका मन गुनवान होथे इसके अतिरिक्त उन्होंने कुछ अन्य हिंदी रचनाओं का भी सस्वर पाठ किया.
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्री बी.आर.साहू शासन के पूर्व सचिव छ.ग.पिछड़ा वर्ग आयोग ने मां को परिभाषित करते हुए अपनी रचनाएं कुछ यूं बयां की –
तुम्हारी मां, मेरी मां, हम सब की मां, मां की कोई परिभाषा नहीं होती. मां अपरिभाषित है वह शब्द जिससे जग परिभाषित है.
छत्तीसगढ़ी व्यंग श्री साहू जी ने कुछ इस प्रकार परोसने का प्रयास किया-
महतारी ह अलग रसोई बनावत है के अऊ बेटा जस गीत गावत से. दाई बर बासी चटनी नई है फेर भक्तिन मन ल कुंवारी भोज करावत है इसके अतिरिक्त उन्होंने मां पर केंद्रित अनेक भावपूर्ण रचनाएं सुनाई.
निर्वाण दिवस पर आयोजित इस काव्य संध्या में जिन कवियों ने अपनी भावपूर्ण हुआ सशक्त रचनाएं प्रस्तुत की उनमें पूर्व शिक्षा अधिकारी श्री टी आर महा महमल्ला, गोपाल दास मानिकपुरी, संजय सोनबोईर, पंचराम हिरवानी,डां. एच.डी.महमल्ला,बेनूराम सेन, नोकेश तांडे,सत्य प्रकाश महमल्ला, संपत कलिहारी व जादूगर कृष्ण कुमार ठाकुर सहित अनेक कवियों व विचारकों ने विभिन्न विधाओं में अपनी बात रखी. उपस्थित सभी लोगों ने ऐसे कार्यक्रमों की प्रासंगिकता व समाजिक क्षेत्र में प्रेरणा देने के लिए उपयोगी एवं सार्थक प्रयास बताया. इसके पूर्व देवबती जी साहू के तैल चित्र पर उपस्थित अतिथियों व कवियों ने पुष्पहार व दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की.काव्य संध्या का सफलतापूर्वक संचालन भरत साहू बुलंदी ने किया.
समापन पूर्व प्रोफे. के.मुरारी दास ने समस्त आगंतुक अतिथियों व कवियों को अंगवस्त्र ,शाल, श्रीफल व प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया. काव्य संध्या के समापन पूर्व दिवंगत आत्मा को मौन श्रद्धांजलि अर्पित की गई . युवा नेता व आम आदमी पार्टी कार्यकर्ता चोवेंद्र साहू के धन्यवाद व आभार प्रदर्शन के साथ कार्यक्रम संध्या संपन्न हुआ।
बालोद से के.नागे की रिपोर्ट