छत्तीसगढ़

आरवीएनएल पर स्टॉक एक्सचेंज ने लगाया जुर्माना, कंपनी के शेयरों में तेजी जारी

आरवीएनएल पर स्टॉक एक्सचेंज ने लगाया जुर्माना, कंपनी के शेयरों में तेजी जारी नई दिल्ली बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और...

महादेव सट्टेबाजी एप मामले में गिरफ्तार एजेंट का किसी भी नेता को पैसे देने से इन्कार

रायपुर. महादेव सट्टेबाजी एप मामले में नया मोड़ आ गया है। कथित तौर पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को...

ब्लाक के कारण 13 दिन निरस्त रहेगी इंदौर-सिवनी एक्सप्रेस

इंदौर पश्चिम-मध्य रेलवे भोपाल मंडल के बुधनी-बरखेड़ा खंड में तीसरी लाइन को जोड़ा जाना है। इसके लिए ब्लाक लिया गया...

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी राजन ने सीहोर, देवास, इंदौर में मतगणना स्थल एवं स्ट्रांग रूम का निरीक्षण किया

भोपाल विधानसभा निर्वाचन -2023 मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी अनुपम राजन ने शुक्रवार को सीहोर, देवास और इंदौर जिले में बनाए गए...

बाबा महाकाल के दर पहुंची जया किशोरी, भस्मारती में शामिल होकर बोलीं- स्वयं को बाबा के करीब पाया

उज्जैन प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी ने शनिवार को बाबा महाकाल के दर्शन किए। वे सुबह होने वाली भस्मारती में भी...

CBI ने भोपाल में BSNL कोर नेटवर्क के जनरल मैनेजर को रिश्वत लेते पकड़ा

भोपाल केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने भोपाल में BSNL कोर नेटवर्क के जनरल मैनेजर महेंद्र सिंह को 15000 रुपए की...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।