छत्तीसगढ़

सुबह-शाम इसलिए चलना चाहिए पैदल, टल जाता है इन 5 गंभीर बीमारियों का खतरा

स्वस्थ बने रहने के लिए हमें कई प्रकार की आदतों का विशेष ध्यान देना पड़ता है। जरा-सी लापरवाही हमें कई...

डी.ए.व्ही मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल मुंगझर की छात्रा का जवाहर नवोदय विद्यालय मे चयन- इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद

इतेश सोनी गरियाबंद। डी.ए.व्ही मुख्यमंत्री पब्लिक स्कूल मुंगझर ,देवभोग की छात्रा साक्षी जायसवाल, का जवाहर नवोदय विद्यालय राजिम गरियाबंद के...

अखिल भारतीय विद्यार्थि पारिषद गुरूर के कार्यकर्ताओं ने फूंका पुतला.

बालोद.. सीमा पर चीन द्वारा किये गए नापाक हरकत और चीन की विस्तारवादी नीति के विरोध में 19 जून को...

शराब ठेकेदारों के हाथ रेत खदान देना पड़ा महंगा…. जिला पंचायत सदस्य औऱ साथियों के साथ किया बेदम मारपीट… लगभग 3 घण्टे तक की लगातार पिटाई….

छत्तीसगढ़ केधमतरी जिले में अवैध उत्खनन अपने चरम सीमा पर पहुँच चुकी है लेकिन खनिज विभाग और प्रशासन अपने कानों...

मैनपुर नगर में देर रात तक अवैध अतिक्रमण पर चलता रहा बूलडोजर नेशनल हाईवे के किनारे से अवैध अतिक्रमण हटाने तहसीलदार ,राजस्व विभाग व पुलिस के अमला सुबह से देर रात तक करते रहे कडी मशक्कत- इतेश सोनी जिला ब्यूरो गरियाबंद

इतेश सोनी मैनपुर । तहसील मुख्यालय मैनपुर नगर में पिछले लगभग एक माह पूर्व मुख्य मार्ग नेशनल हाईवे 130 सी...

शहरी क्षेत्रों में रोका-छेका के लिए संकल्प 19 जून से : गांवों के साथ-साथ शहरों में भी प्रभावी व्यवस्था

छत्तीसगढ़ में 19 जून से शुरु हो रहा रोका-छेका अभियान शहरी क्षेत्रों में भी जोर-शोर से चलाया जाएगा। इसका उद्देश्य...

इंडियन पोडियाट्री एसोसिएशन का कार्य वास्तव में एक मानवीय कार्य: सुश्री उइके : राज्यपाल ने वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से इंडियन पोडियाट्री एसोसिएशन के छत्तीसगढ़ चेप्टर का किया शुभारंभ

राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज यहां राजभवन में वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से इंडियन पोडियाट्री एसोसिएशन के छत्तीसगढ़ चेप्टर...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।