शिवशंकर सोनपिपरे

छत्तीसगढ़ में पिछले दिनों हुई बेमौसम बारिश ने ठंड के तेवर किये तीखे

अंबिकापुर पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तरी छत्तीसगढ़ में पिछले दिनों हुई बेमौसम बारिश ने ठंड के तेवर तीखे कर दिए...

जनादेश परब-एक वर्ष विश्वास का : मुख्यमंत्री साय ने प्रस्तुत किया शासन के एक वर्ष की उपलब्धियों का रिपोर्ट कार्ड

रायपुर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने मंत्रिमण्डल के सदस्यों के साथ न्यू सर्किट हाउस सिविल लाईन में राज्य सरकार के...

रायपुर नगर निगम की सामान्य सभा रही हंगामेदार, विपक्ष ने निगम पर लगाए अवैध कब्जे और भ्रष्टाचार के आरोप

रायपुर राजधानी रायपुर के नगर निगम मुख्यालय में आज महापौर एजाज ढेबर के अंतिम कार्यकाल की सामान्य सभा संपन्न हुई।...

छत्तीसगढ़ के प्रतिभाशाली युवाओं के पास बिज़नेस आइडिया की कमी नहीं: मुख्यमंत्री साय

रायपुर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज भाठागांव स्थित अंतरराज्यीय बस स्टैंड में नवनिर्मित इनोवेशन सेंटर का फीता काटकर शुभारंभ किया।...

महंगाई के मोर्चे पर भारत के लिए अच्छी खबर आई, RBI के लिए राहत की खबर… जानिए क्या-क्या चीजें हुईं सस्ती

नई दिल्ली महंगाई (Inflation) के मोर्चे पर भारत के लिए अच्छी खबर आई है. गुरुवार को सरकार ने नवंबर में...

‘कौन बनेगा करोड़पति 16’ में सही जवाब देकर भी 50 लाख के सवाल पर हारा युवा

मुंबई 'कौन बनेगा करोड़पति 16' का हालिया एपिसोड पश्चिम बंगाल के कोलकाता के रोलओवर कंटेस्टेंट सौरव चौधरी के साथ शुरू...

सेलेना गोमेज ने शादी का किया ऐलान, बॉयफ्रेंड बेनी ब्लैंको ने पहनाई अंगूठी

न्यूयॉर्क फेमस सिंगर सेलेना गोमेज जिंदगी की नई शुरुआत करने जा रही हैं। उन्होंने शादी का ऐलान किया है। उनके...

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” सिनेमा एंड बियांड और नुक्कड़ कैफे द्वारा आयोजित “भारतीय सिनेमा में महिला लेखिकाओं एंव निर्देशकों का योगदान – एम.एल. नत्थानी कवि,लेखक, शिक्षाविद, भारतीय सिनेमा के लगभग 100 साल के इतिहास में महिला लेखिकाओं और निर्देशकों ने अपने कल्पनाशील विचारों एंव आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही यथार्थवादी धरातल पर पुरुष पात्रों के ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” को सिनेमा के सुनहरे पर्दे पर लगभग प्रत्येक दशक में अपनी अंतर्दृष्टि से रेखांकित किया है । अतीत से वर्तमान कालखंड में अनेक महिला फिल्मकारों ने सिनेमाई रुपहले पर्दे पर पुरानी सोच के रुढ़िवादी पुरुष पात्रों को नए परिवेश में आधुनिक दृष्टिकोंण के साथ ही मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशील, बुद्धिमान होने के साथ ही अनंत गहराईयों को शिद्दत के साथ जिंदगी को जिन्दादिली के साथ जीने के लिए प्रतिबद्ध है । यह सिनेमाई पर्दे पर महिला फिल्मकारों की नई सोच और सृजन के अद्भुत हस्ताक्षर हैं । भारतीय सिनेमा के शुरूआती कालखंड में महिला फिल्मकारों में साहसी एंव प्रतिभावान फातिमा बेगम और देविका रानी उल्लेखनीय नाम हैं । समय के साथ महिला फिल्मकारों की भूमिका का चित्रण भी निरंतर बदलता रहा है । वस्तुतः सिनेमा के माध्यम से समाज में तेजी से बदलते जीवन मूल्यों को ” पुरुष पात्रों ” को महिला फिल्मकारों ने अपने आधुनिक नजरिए एंव पैनी अंतर्दृष्टि से विवधता के नए आयाम स्थापित किए हैं । महिला फिल्मकारों के सृजनशील सशक्त हस्ताक्षर :- ************************ 1 फातिमा बेगम – बुलबुल ए परिसतान 2 देविका रानी – कर्मा 3 नंदिता दास – फिराक 4 दीपा मेहता – फायर 5 अरुणा राजे – रिहाई 6 कल्पना लाजमी – रूदाली 7 अर्पणा सेन – मिस्टर एंड मिसेज अय्यर 8 मीरा नायर – मानसून वेडिंग 9 गुरविंदर चड्डा – बेंड इट लाइक बेकहम 10 अनुशा रिजवी – पीपली लाईव 11 किरण राव – धोबी घाट 12 भावना तलवार – धरम 13 रीमा कागती – तलाश 14 रेवती – मित्र माई फ्रेंड 15 मेघना गुलजार – तलवार, राजी,छपाक 16 गोरी शिंदे – इंग्लिश विंगलिश 17 जोया अख्तर – लक बाय चांस, जिंदगी ना मिलेगी दोबारा,दिल धड़कने दो 18 फराह खान – ओम शांति ओम, मैं हूं ना 19 कोंकणा सेन शर्मा – अ डेथ इन द गंज 20 लीना यादव – दि एंड निष्कर्ष :- इस तरह से भारतीय सिनेमा का इतिहास महिला फिल्मकारों के सृजनशील और सशक्तिकरण के नित नई सोच और आधुनिक दृष्टिकोंण का बदलता हुआ प्रतिबिंब है । आज महिला फिल्मकारों ने ग्लोबल स्तर पर अच्छे कंटेंट राईटर के कारण सिनेमा और ओटीटी प्लेटफार्म पर भी इस डिजिटल युग में वैश्विक पहचान बनाई है । भारतीय सिनेमा में अब पुरुषों को लेकर नए दृष्टिकोंण और वैश्विक स्तर के कंटेंट राईटर निरंतर सक्रियता के साथ महिला फिल्मकारों ने समाज में क्रांतिकारी बदलाव लाने में आधुनिक तकनीक और विज्ञान के साथ ही नए ” संवेदनशील और साहसी पुरुषत्व ” की सिनेमाई छबि को परिभाषित करने में कामयाब हुए हैं । सादर ।