माकपा ने पूछा – कोरोना या राम वन गमन पथ : क्या है सरकार की प्राथमिकता?

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मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कोरोना वायरस से लड़ने राज्य सरकार के कदमों को अपर्याप्त बताते हुए कहा है कि आज जब पूरा प्रदेश कोरोना वायरस के संकट और संक्रमण से जूझ रहा है, इस विश्वव्यापी महामारी से निपटने के बजाए सरकारी अमला राज्य के मुख्य सचिव की अगुआई में राम वन गमन पथ के मुद्दे पर व्यस्त है। माकपा ने राज्य सरकार से पूछा है कि कोरोना वायरस और राम वन गमन पथ में से कौन-सा मुद्दा सरकार की प्राथमिकता में है?

आज यहां जारी एक बयान में माकपा के छत्तीसगढ़ राज्य सचिवमंडल ने कहा है कि आईसीएमआर के अनुसार भारत मे एक माह के भीतर कोरोना वायरस का हमला तीसरे चरण में प्रवेश कर जाएगा, लेकिन आज भी 130 करोड़ की आबादी में इस वायरस से संक्रमित संदिग्ध लोगों की जांच के लिए सरकारी अस्पतालों में केवल डेढ़ लाख किट ही उपलब्ध है। मोदी सरकार ने इसके इलाज और मुआवजे के लिए जो अधिसूचना जारी की थी, उसे भी उसने वापस ले लिया है। इसका स्पष्ट अर्थ है कि अब संदिग्धों को इलाज में न कोई मदद मिलेगी और न ही मृत्यु होने की स्थिति में पीड़ित परिवार को कोई मुआवजा।

माकपा ने कहा है कि प्रदेश में कोरोना-पीड़ित संदिग्ध मरीजों का इलाज साधारण मरीजों के साथ ही करने के अनेक प्रकरण रोज सामने आ रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि जांच के मामले में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, हम बहुत पीछे हैं और यहां बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार की जरूरत है। पार्टी ने पूरे राज्य में मास्क और सैनिटाइजर की कालाबाज़ारी होने का भी आरोप लगाते हुए कहा है कि हमारे देश में स्वास्थ्य सेवाओं के बड़े पैमाने पर निजीकरण के चलते इस महामारी से लड़ना और मुश्किल हो गया है।

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि कोरोना वायरस के हमले के डर से निर्माण, परिवहन और पर्यटन जैसे अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्र बहुत प्रभावित हुए हैं और इससे असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, रेहड़ी-पटरी-खोमचे वालों, छोटे दुकानदारों और प्रवासी मजदूरों की आजीविका को भारी क्षति पहुंची है और उनकी मजदूरी और आय में अप्रत्याशित गिरावट आई है। देश में 95% लघु व मध्यम उद्योगों के प्रभावित होने के चलते 4.5 करोड़ लोगों के रोजगार पर प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से खतरा मंडरा रहा है। इससे भुखमरी और कुपोषण की समस्या बढ़ेगी, जिसका असर उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ेगा। लेकिन इससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कोई कदम नहीं उठा रही है।

माकपा नेता ने कहा कि केंद्र सरकार के पास 7.5 करोड़ टन का खाद्यान्न भंडार है। राज्य सरकार के पास भी धान का अतिरिक्त भंडार है, जिसका उपयोग वह इथेनॉल बनाने के लिए करना चाहती है। उन्होंने कहा कि इस विशाल खाद्यान्न भंडार का उपयोग कमजोर तबकों को मुफ्त पोषण आहार देकर और काम के बदले अनाज योजना लागू करके किया जा सकता है, ताकि उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बनाये रखा जा सके। माकपा नेता ने कोरोना से लड़ने के लिए मास्क और सैनिटाइजर जैसी अत्यावश्यक वस्तुओं को बहुत ही कम कीमत पर सार्वजनिक स्वास्थ्य और औषधि वितरण केंद्रों के जरिये उपलब्ध कराने की भी मांग की है।

माकपा नेता पराते ने इस महामारी के खिलाफ बड़े पैमाने पर वैज्ञानिक जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता पर बल देते हुए गोबर-गौमूत्र से इसके इलाज जैसी वाहियात और अवैज्ञानिक बातों को प्रचारित करने वाले व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की भी मांग सरकार से की है।

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