उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ का सबुत पैदा करने के लिए बाहर से बाघ का मल लाकर कुल्हाड़ीघाट के जंगलो में फेका गया है – शिवशंकर सोनपीपरे ( चीफ एडिटर )

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उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ का सबुत पैदा करने के लिए बाहर से बाघ का मल लाकर कुल्हाड़ीघाट के जंगलो में फेका गया है – शिवशंकर सोनपीपरे ( चीफ एडिटर )

रायपुर | वर्ष 2009 में उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व का गठन किया गया है परन्तु आज तक वहा बाघ का कोई भी पुख्ता प्रमाण नहीं मिल पाया है , बाघों के सम्बन्ध में वन विभाग केवल दावा ही करता आया है परन्तु कोई ठोस प्रमाण पेश नहीं कर पाया है |वही स्थानीय स्तर परप्रकृति एवं संस्कृति रिसर्च सोसाईटी विगत कई वर्षो से वन, वन्यप्राणी व बाघों के संबंघ में उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के जंगलो में रिसर्च कर रही है | प्रकृति एवं संस्कृति रिसर्च सोसाईटी के डायरेक्टर तीव कुमार सोनी के द्वारा उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के पुरे जंगलो का सर्वे किया गया है जिसमे डायरेक्टर तीव कुमार सोनी ने सर्वे का रिपोर्ट जारी कर बताया है की उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में कोई भी बाघ नहीं है, उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में आरम्भ से ही कोई भी बाघ नहीं है, इसीलिए उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में आज तक बाघ का कोई भी पुख्ता प्रमाण नहीं मिल पाया है | बाघ तो उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के बाहर के जंगलो में पाया जाता है | वन मंडल गरियाबंद व उड़ीसा के सोनाबेडा अभ्यारण्य के जंगलो में बाघ पाए जाते है | उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व का गलत सीमा निर्धारण किया गया है |

वन मंडल गरियाबंद व उड़ीसा के सोनाबेडा अभ्यारण्य में है बाघ

प्रकृति एवं संस्कृति रिसर्च सोसाईटी के डायरेक्टर तीव कुमार सोनी ने बताया की वन मंडल गरियाबंद का वन परिक्षेत्र मैनपुर, वन परिक्षेत्र धवलपुर, वन परिक्षेत्र नवागढ़ और उड़ीसा का सोनाबेडा अभ्यारण्य बाघों का मुख्य ठिकाना है | टाईगर रिजर्व का कोर एरिया तो वन परिक्षेत्र मैनपुर, धवलपुर, नवागढ़ को बनाया जाना चाहिए | वन परिक्षेत्र मैनपुर में आदमखोर बाघ ने 15 लोगो को मार डाला था तथा वन परिक्षेत्र मैनपुर से पूर्व में 4 बाघ भी पकडे गए है उन बाघों के वंशज आज भी इन्ही जंगलो में रहते आ रहे है | अभी वन मंडल गरियाबंद और उड़ीसा का सोनाबेडा अभ्यारण्य के जंगलो में 4 से 6 बाघ है |

उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व और वन परिक्षेत्र कुल्हाड़ीघाट में कोई भी बाघ नहीं है

प्रकृति एवं संस्कृति रिसर्च सोसाईटी के डायरेक्टर तीव कुमार सोनी ने बताया की वन मंडल गरियाबंद व सोनाबेडा अभ्यारण्य के बाघ युवा होने पर प्रत्येक 4 – 5 साल में प्रजनन काल के दौरान वन परिक्षेत्र कुल्हाड़ीघाट के ओंड, कुकरार, ताराझार के रास्ते साथी की तलाश में आना जाना करते है | इसलिए कभी कभार ओंड, कुकरार, ताराझर में बाघ के मल व पंजा का निशान मिल जाता है | वो बाघ वन मंडल गरियाबंद व उड़ीसा के सोनाबेडा अभ्यारण्य के है | उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व और वन परिक्षेत्र कुल्हाड़ीघाट में कोई भी बाघ नहीं है |

बाघ का सबुत पैदा करने के लिए बाहर से बाघ का मल लाकर कुल्हाड़ीघाट के जंगलो में फेका गया है

प्रकृति एवं संस्कृति रिसर्च सोसाईटी के डायरेक्टर तीव कुमार सोनी ने बताया की वर्ष 2017 में वन विभाग ने बाघ होने का दावा किया था और बाघ का मल व पंजा का निशान पेश किया था वो पूरा फर्जी प्रमाण था | बाहर से बाघ का मल और पंजा का निशान ला कर कुल्हाड़ीघाट में मिलना बता दिया गया था | अब उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ का फिर से गणना करने के लिए तैयारी की जा रही है | बाघ का सबुत पैदा करने के लिए बाहर से बाघ का मल और पंजे का निशान ला कर कुल्हाड़ीघाट के जंगलो में फेका गया है | अभी पिछले हफ्ते बाघ खोजने का बहाना बना कर वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी कुल्हाड़ीघाट के जंगलो में घुसे थे और कुछ ख़ास स्थानों में बाहर से लाये गए बाघ का मल और पंजे का निशान को फेक दिए है | अब उन ख़ास स्थानों में बाघ गणना के नाम से वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी जायेंगे और पहले से फेके हुए बाघ का मल और पंजा को एकत्र कर उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व में बाघ होने का दावा करेंगे | इस प्रकार वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी कई सालो से शासन को गुमराह कर करोडो का आबंटन प्राप्त कर रहे है |

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