इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाला : पेशी में नहीं आने वाले दस आरोपियों की जमानत होगी खारिज, न्यायिक दंडाधिकारी ने जारी किया नोटिस

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रायपुर

भाजपा शासन काल के वर्ष 2006 में हुए इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाला मामले के आरोपियों की लंबे समय से कोर्ट में पेश नहीं होने पर न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी (जेएमएफसी) भूपेश कुमार बसंत ने नोटिस जारी किया है। इस प्रकरण में कोर्ट ने जमानत पर रिहा दस आरोपिपों की जमानत खारिज करने की पूरी तैयारी कर ली है।

छत्तीसगढ़ शासन के उप महाअधिवक्ता संदीप दुबे ने बताया कि बैंक घोटाले से जुड़े आरोपियों द्वारा स्वास्थ्यगत कारण बताकर जमानत का लाभ लेने पर कोर्ट में आवेदन दिया है। उन्होंने आरोपियों की जमानत को निरस्त करने के साथ ही जिला मेडिकल बोर्ड से जांच रिपोर्ट पेश करने की मांग की है। कोर्ट ने आरोपियों को इस संबंध में नोटिस जारी कर नियमित पेशी पर आने के निर्देश दिए है ताकि घोटाले की जांच-पड़ताल में तेजी आ सके। उन्होंने बताया कि इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाले के एक प्रकरण में 15 से अधिक आरोपी बनाए गए है जिसमें से तीन आरोपी फरार और 12 आरोपी जमानत पर रिहा है। इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान केवल दो आरोपी ही कोर्ट पेशी में उपस्थित होते हैं जबकि 10 अन्य आरोपी बीमारी का बहाना बनाकर सुनवाई में कभी नहीं आते है। पिछले 12 साल से यह सिलसिला चल रहा है।

बैंक घोटाले के आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट द्वारा इस शर्त पर जमानत दी गई है कि वह कोर्ट में नियमित सुनवाई के दौरान उपस्थित रहेंगे। वहीं पुलिस को जांच में सहयोग करेंगे। न्यायाधीश ने अभियोजन पक्ष की दलील को गंभीरता से सुनने और अदालत की अवहेलना करने पर सभी आरोपियों को एक आखिरी मौका देते हुए नोटिस जारी किया है। जारी नोटिस में पूछा गया है कि कौन सी बीमारी है जिसके कारण वह सुनवाई में उपस्थित नहीं हो रहे है। इसे स्पष्ट करने के लिए मेडिकल बोर्ड के प्रमाण के साथ ही उपस्थित दर्ज कराएं।

यह है आरोपीगण
इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक मैनेजर उमेश सिन्हा, उपाध्यक्ष सुलोचना आडिल, किरण शर्मा, दुर्गा देवी, सविता शुक्ला, सरोजनी शर्मा, नीरज जैन, रीता तिवारी, संगीता शर्मा एवं अन्य शामिल हैं। इनमें से केवल उमेश सिन्हा और सुलोचना आडिल कोर्ट में उपस्थित होते हैं। वहीं अन्य आरोपितों की ओर से उनके अधिवक्ताओं द्वारा धारा 317 दप्रस के तहत आवेदन पेश किया जाता है।

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