मंदसौर पशुपतिनाथ मंदिर में लागू हुआ ड्रेस कोड, बिना दुपट्टे या छोटे कपड़ों में एंट्री बैन
अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ की प्रतिमा मंदसौर में स्थित है. यहां रोजाना हजारों की तादाद में श्रद्धालु बाबा भोले के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचते हैं. देशभर के मंदिरों में दर्शन के दौरान पहने जाने वाले कपड़े आमजनों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. मंदिर में लोगों का अमर्यादित कपड़े पहन कर प्रवेश करना वर्जित किया जा रहा है, और पशुपतिनाथ मंदिर प्रबंधन समिति ने इस मामले में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए मंदिर के बाहर एक बोर्ड लगाया है. इसके साथ ही, समिति ने एक सुरक्षा कर्मी को भी तैनात किया है, जो अमर्यादित कपड़े पहनकर आने वाले लोगों पर नजर रख रहे हैं.
मंदिर प्रबंधन समिति ने लोगों से अमर्यादित कपड़े पहन कर नहीं आने का अनुरोध किया है और दर्शनार्थियों की ओर से इस पहल की सराहना की जा रही है. महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी कई मंदिरों में इस तरह का ड्रेस कोड पहले ही लागू किया जा चुका है. प्रदेश के कुछ अन्य जिलों में भी अमर्यादित कपड़े पहन कर नहीं आने के पोस्टर लगाए गए हैं, जैसे कि अशोकनगर, भोपाल, उज्जैन आदि. यह एक अच्छा कदम है जो धार्मिक स्थलों में श्रद्धालुओं की सभ्यता और वातावरण की सुरक्षा के प्रति संकेत करता है.
ये कपड़े है प्रतिबंधित
मंदसौर में तलाई वाले बालाजी मंदिर के बाहर पिछले महीने ऐसा नोटिस बोर्ड लगाया गया था जिसमें श्रद्धालुओं की आवाज़ सुनी गई और मांग की गई थी कि पशुपतिनाथ मंदिर में भी वैसा ही बोर्ड लगाया जाए. बाहर लगाए गए पोस्टर में लिखा गया है कि मंदिर परिसर में मर्यादित वस्त्र पहन कर ही आने का अनुरोध किया गया है. इसमें छोटे वस्त्र जैसे हाफ पैंट, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट, कटी-फटी जींस आदि पहन कर मंदिर परिसर में न आने का सुनिश्चित किया गया है. यह नोटिस बोर्ड धार्मिक स्थलों में संवेदनशीलता और सम्मान की महत्वपूर्णता को प्रकट करता है और भारतीय संस्कृति के मूल्यों का पालन करने के लिए श्रद्धालुओं को प्रोत्साहित करता है.
दुप्पटे के बिना मंदिर में प्रवेश नहीं
पशुपतिनाथ मंदिर के पुजारी कैलाश भट्ट ने बताया कि हिंदू संस्कृति में प्राचीन सभ्यता से वेशभूषा की नियुक्ति की गई है और संस्कृति के अनुसार मंदिर में प्रवेश करने के लिए वेशभूषा का महत्व है. इस संदर्भ में बोर्ड लगाकर कपड़े पहनने की मांग का दुःख व्यक्त किया और इसे हिंदू धर्म के लिए शोभायमान नहीं बताया. उन्होंने यह भी साझा किया कि श्रद्धालुओं से चर्चा के दौरान महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर बातचीत हुई, जैसे कि मंदिर का महत्व समझने की आवश्यकता है, मंदिर में मर्यादित वस्त्र पहन कर प्रवेश करने का अनुरोध किया गया, और महिलाओं और युवतियों को दुप्पटे के बिना मंदिर में प्रवेश नहीं करने की सलाह दी गई. मंदिर प्रबंधन समिति के यह निर्णय को स्वागत किया गया.