कुम्हारों के सामने रोजी का संकट:- राकांपा

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कुम्हारों के सामने रोजी का संकट:- राकांपा

गरियाबंद:- पैरी नदी के पावन तट पर बसा गरियाबंद नगर में तीन सौ से अधिक कुम्हार परिवार है राकांपा जिलाध्यक्ष गैंदलाल देवांगन ने कहां कि नगर व अंचल क्षेत्र में कुम्हार परिवार जो दिन भर अथक परिश्रम कर मिट्टी के सुंदर आकार के घरेलू व सजावट के चीजे बनाते है लेकिन उन्हे मात्र बीस से तीस रुपये रोजी ही नसी ब होती है। राज्य सरकार ध्यान दे तो कुम्हारों का पुश्तैनी धंधा आगे भी चतला रहेगा अन्यथा धीरे-धीरे विलुप्त हो जाएगा।
मिट्टी की घरेलू उपयोग एवं सजावट की वस्तुएं बनाने में माहिर कुम्हार परिवार भी धंधा त्रास्दी से पीड़ित है जलाऊ लकड़ी की मोहताज भी उसे लेकर कुम्हार परिवार परेशान चितिंत है। रांकापा जिला महासचिव व प्रवक्ता लक्ष्मण सोनवानी ने कहां कि गरियाबंद नगर के पचास वर्षीय कुंभकार ने बताया कि वे अपने पूरे परिवार के साथ मिलकर मिट्टी की उपयोगी वस्तु बनाते है लेकिन परिश्रम के अनुरुप उन्हे मूल्य नही मिलता है इससे परिवार के समक्ष भरण पोषण की समस्या खड़ी हो गई है उन्होने बताया कि वह मिट्टी से हंडिया, तेलई ,कुडेरा, तावा, परई, करसी, दीया व्याह करसा, ज्वरा कलसा, गल्ला, गमला, बच्चों का गुल्लक बनाते है इसका मूल्य 1 रुपया से लेकर पचीस रुपये तक होता है उन्होने बताया कि मिट्टी के बर्तन बेचन में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। मिट्टी की बनी वस्तुओं को सिर में रखकर पैदल चलकर बेचने हेतु गरियाबंद नगर व आस-पास ग्रामीण क्षेत्रों में जाना पड़ता है पुश्तैनी व्यवसाय के निरंतर चलते रहने पर युवा पीढ़ी ने बताया कि इस व्यवसाय में घाटा ही घाटा है। हम इस व्यवसाय में शामिल नही होगें शासन द्वारा हमारी समस्याओं पर गंभीरता के साथ ध्यान देकर समस्या का निराकरण किए जाने पर ही हम पुश्तैनी व्यवसाय को जारी रख सकेगें।

 

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