बिना मदद के आगे बढ़ना है :: स्वामीश्री: अविमुक्तेश्वरानंद:

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बिना मदद के आगे बढ़ना है :: स्वामीश्री: अविमुक्तेश्वरानंद:

 

गुरुकुल की परंपरा यदि देखना है तो श्रीविद्या मठ, केदारघाट , वाराणसी आकर देखना होगा क्यों कि यहां जो गुरुकुल ” जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी न्याय वेदांत महाविद्यालय ” संचालित हो रहे हैं वो जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज के शिष्य प्रतिनिधि दंडी स्वामीश्री: अविमुक्तेश्वरानंद: सरस्वती जी महाराज द्वारा संचालित किया जा रहा है जिसमे 4 वेदों के 11 शाखाओं में वैदिक छात्र अध्यनरत हैं। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा के दिन नए विद्यार्थियों की प्रवेशिका हुई जिसमें 100 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया और उन्हें शिक्षकों के अलावा स्वामिश्री: खुद बच्चों को पढ़ाते हैं और संस्कार सिखाते हैं।

इसी कड़ी में स्वामिश्री: ने नए प्रवेश लिए विद्यार्थियों से कहा की – विद्यार्थियों को कक्षा में अन्य विद्यार्थियों के मदद के बिना ही आगे बढ़ना है। कक्षा में कोई सहयोग और मदद पढ़ाई लिखाई के मामले में नहीं लेनी चाहिए। हमारा जो मस्तिष्क है वह प्रत्येक बातों को रिकॉर्ड कर लेता है लेकिन उसके लिए ध्यान / मनोयोग की जरूरत होती है। स्मृति में सब रहता है बस उसे ढूंढना है और यह तभी संभव होगा जब विद्यार्थी पूरा ध्यान लगाकर अपने गुरु की बातों को सुनेगा और पढ़ाई करेगा।

आगे स्वामिश्री: ने विद्यार्थियों से कहा कि आप सभी के मन मे जिज्ञासा होनी चाहिए। उदाहरण स्वरूप उन्होंने बताया कि जब भूख लगती है और खाना माँ से मांगते हो ठीक उसी प्रकार जिज्ञासा की भूख आपके अंतर्मन से उठकर आना चाहिए तब आपको आपके जिज्ञासा का सदुत्तर आपके गुरु से मिलेगा और आप तृप्त महसूस करोगे। स्वामिश्री: ने कहा सवाल पूछते रहो, यह मत सोचो कि सवाल कितने गहरे हैं । इससे आपकी खुद की प्रतिभा में निखार आएगा और आप सफल होंगे। गुरु से जितना चाहो सवाल पूछो और ज्ञान अर्जित करो। यह मत सोचो कि – “मैं यह सेवाल करूँ की नहीं ” ।

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