अध्यात्मिक शक्ति का संचय करने के लिए व्यक्ति भगवान के शरण मे जाता है: सदानंद सरस्वती
आध्यात्मिक शक्ति का संचय करने के लिए व्यक्ति भगवान के शरण मे जाता है : सदानंद सरस्वती
ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि तथा द्वारका पीठ के मंत्री दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती 28 अप्रैल 2018 को रायपुर के दुबे कॉलोनी मोवा में नवनिर्मित भगवान बालाजी के प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य पर सम्मिलित हुए और आशीर्वचन प्रदान किये। इस उपलक्ष्य पर सर्व प्रथम डॉ देवेंद्र नायक एवं उनके परिवार के सदस्यों ने पादुका पूजन किये और माला पहनाकर उनका तथा शंकराचार्य आश्रम रायपुर के प्रमुख ब्रह्मचारी डॉ इंदुभवानंद, सलदाह धाम के ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानंद का भी स्वागत किये। तत्पश्चात दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती ने अपने आशीर्वचन में कहा कि आध्यात्मिक शक्ति का संचय करने के लिए व्यक्ति भगवान के शरण मे जाता है। उन्होंने कहा की हमारे सनातन धर्म में, भारतीय संस्कृति में दो ही तत्त्व प्रधान है जिसमे एक धर्म है दूसरा परमात्मा। ईश्वर साध्य है और धर्म साधन है, लेकिन साधन रूपी धर्म तभी सार्थक होता है जब हम धर्म के लिए धर्म करते हैं। जैसे, धर्म का संपादन, कर्तव्य का पालन भी धर्म है, रोगी को दवा देना भी धर्म है, प्यासे को पानी पिलाना भी धर्म है, भूखे को खाना खिलाना भी धर्म है। धर्म के बहुत स्वरूप है। मंदिर में पूजा करना धर्म है लेकिन बाकी को जनाना पड़ता है। पुत्र का परम धर्म माता पिता की सेवा करना है लेकिन पुत्र यदि सोचे कि सेवा से क्या मिलेगा। डॉक्टर का धर्म है मरीजों का इलाज सेवा के रूप में करना वह धर्म का धर्म है लेकिन पैसे लेकर चिकित्सा करना वह डॉक्टर का कर्तव्य है लेकिन वह रोगी को ठीक करे बाकी जो होना है वह प्रारब्ध है। इस पावन अवसर पर रामप्रताप सिंह, चंद्रशेखर साहू, बीरेंद्र पटेल, नरसिंह चंद्राकर, जी.स्वामी, शिव दुबे, डॉ दवे, पं विकास महाराज व अनेक भक्तगण उपस्थित होकर स्वामी सदानंद सरस्वती के श्रीमुख से प्रवचन का रस पान किये और आशीर्वाद प्राप्त किये। उक्त जानकारी शंकराचार्य आश्रम के समन्वयक व प्रवक्ता पं रिद्धीपद ने विज्ञप्ति जारी कर के दी।