धमतरी गंगरेल में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में तीन करोड़ रूपये का गबन | STSC संरक्षण समिति के प्रदेश अध्यक्ष शिवशंकर सोनपिपरे ने किया अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग |

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रायपुर  | धमतरी गंगरेल में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में तीन करोड़ रूपये का गबन किया गया है | जिस पर  STSC संरक्षण समिति के प्रदेश अध्यक्ष शिवशंकर सोनपिपरे ने दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही की मांग किया है | केन्द्रीय सरकार द्धारा गरीब मछुआ मारने वाले छोटे किसानों को सशक्त बनाने योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाता है लेकिन अधिकारी इन योजनाओं में सेंध लगाकर स्वयं की जेबें भरने में लगती है जिसके कारण आज भी मछली मार कर जीवन यापन करने वाले लोगो की जिंदगी निम्न स्तर में ही लटकी हुई है। वहीं इसके विपरित जिम्मेदार अधिकारी गरीबों की योजनाओ में सेंध लगाकर खुद की जेबें भरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।राशि आबंटन के मामले हुए अनियमितता के संबंध में केंद्रीय हस्तक्षेप के बावजूद भी राज्य की उच्च अधिकारियों की उदासीनता के चलते आज पर्यन्त तक कार्यवाही शून्य है ।छत्तीसगढ के धमतरी जिला में केंद्र सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना में चुनिंदा लोगों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से आर्थिक अनियमितता का मामला सामने आया है।

धमतरी जिला के गंगरेल बांध में केज कल्चर के नाम लाखों रुपये की अनियमितता का आरोप लगाया गया है।केंद्र सरकार द्वारा संचालित प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना वर्ष 2021-22 में तत्कालीन सहायक संचालक मछली पालन के कार्यकाल में कुल 162 एवं 70 केज यूनिट लगाने के नाम से आबंटन प्राप्त हुआ था। अधिकांश लोगों को लाभ पहुंचाने की बजाय केवल चार हितग्राहियों को 72 केज राशि 86.40 लाख एवं नौ हितग्राहियों को 162 केज अनुदान राशि 291.60 लाख बीना केज लगे ही कमीशन लेकर बांट दिया गया। वर्तमान स्थिति की बात करें तो गंगरेल बांध में योजना अनुरूप केज नहीं लगे हैं। वहीं उप संचालक ने कहा मामले की जांच रिपोर्ट आ चुकी है, वहीं पुनः जांच के लिए पत्र लिखा हुआ है कि वर्तमान में क्या स्थिति है जानने के लिए उप संचालक को लिखा हुआ है। क्योंकि तत्कालीन उप संचालक को कमी अनियमितता के संबंध में बुलाया भी गया था लेकिन स्वास्थ्यगत कारणों के चलते अभी तक अभी तक कार्यवाही रुकी हुई है।वहीं पदोन्नति के सावल पर बताया कि रिकवरी आदेश नही हुआ है तत्कालीन उप संचालक को मौखिक रूप में जरूर का था, की जो भी राशि अनियमितता है उसे ठीक करें।वहीं राशि अनियमितता समझ से परे है, राशि अनियमितता नहीं होनी चाहिए.. हालांकि उन्होंने यह माना है की काम में ढिलाई दी है ।वहीं प्रमोशन के प्रश्न पर प्रमुख संचलक ने बताया कि शासन स्तर पर जांच कर आरोप पत्र जारी  होता है ।

 

जब तक आरोप पत्र जारी नहीं हुआ है प्रमोशन हो सकता है । यदि आरोप साबित हो जाता है तो जांच की कार्यवाही होगी। वहीं मामले में पन्द्रह दिवस के भीतर कार्यवाही करने की बात कही है । बहरहाल देखना होगा कि मामले में उक्त अधिकारी को बचाने के लिए एड़ी चोटी का दम लगाया जा रहा है, उच्च अधिकारियों के जांच के बावजूद अभी तक कोई कार्यवाही न करना उच्च अधिकारियों पर सवालिया निशाना है । मामले में कार्यवाही की बात की जा रही है लेकिन गुप्त सूत्रों की माने तो उच्च अधिकारी भी सांठगांठ के चलते बचाने के चक्कर में पुनः जांच हेतू लिखा हुआ है। जबकि केंद्रीय मंत्रालय ने उक्त तत्कालीन उप संचालक को राशि अनियमितता के संबंध में राशि रिकवरी और उचित कार्यवाही हेतू पत्र लिखा है  लेकिन अधिकारी को बचाने कार्यवाही आज तक शून्य है। बहरहाल देखना होगा इन 15 (पंद्रह)दिवस के भीतर तत्कालीन उप संचालक पर क्या कार्यवाही की जाती या पुनः जांच के आड़ में सेटिंग कर क्लीन चिट दे दी जाती है

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