मुल्लार्प परियोजन : कृषि विवि को मिला देश का सर्वश्रेष्ठ केन्द्र का पुरस्कार

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रायपुर

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा संचालित मुल्लार्प परियोजना के तहत इंदिरा गांधी कृषि विश्वाविद्यालय रायपुर केन्द्र को देश के सर्वश्रेष्ठ केंद्र का पुरस्कार प्राप्त हुआ है. कृषि विश्वद्यालय के कुलपति डा गिरीश चंदेल ने परियोजना से जुड़े सभी कृषि वैज्ञानिकों को इस उपलब्धि के लिए बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा वर्ष 1995 से इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में मूल्लार्प परियोजना संचालित की जा रही है। इस परियोजना के अंतर्गत छ: दलहनी फसलों जैसे- मूंग, उड़द, मसूर, तिवड़ा, राजमा एवं मटर पर अनुसंधान एवं विस्तार कार्य किया जा रहा है, जिसके फलस्वरूप राज्य में दलहनी फसलों की उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हुई है। इस परियोजना के अंतर्गत अब तक ग्यारह किस्मों का विकास किया गया है जिसमें मूंग-2, उड़द-1, मसूर-1, तिवड़ा-2, मटर-4 एवं लोबिया-1 प्रमुख है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के समीक्षा दल द्वारा पूरे देश में दलहनी फसलों के अनुसंधान पर पंचवर्षीय समीक्षा (2016-2020) की गई तथा मूल्यांकन किया गया है। जिसमें मूल्यांकन के आधार पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर की मूल्लार्प परियोजना को देश में सर्वश्रेष्ठ केन्द्रों की श्रेणी में चयनित किया है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर की मूल्लार्प परियोजना के द्वारा गत पांच वर्षो में दलहनी फसलों की कुल तीन किस्में (उड़द की इंदिरा उड़द प्रथम, मटर की इंदिरा मटर-1 एवं मसूर की छ.ग. मसूर-1) विकसित की गई है। साथ ही कुल 23 सस्य तकनीकों का विकास किया गया है। इसके अलावा मूंग, उड़द, मटर, तिवड़ा एवं मसूर फसलों की लगभग 750 क्विंटल प्रजनक बीज का उत्पादन किया गया। कृषकों के प्रक्षेत्र पर उन्नत तकनीकी के अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन किये गये, जिसमें प्रदेश के कृषक लाभान्वित हुए है। कृषकों को दलहनी फसलों की उन्नत उत्पादन तकनीकी का भी प्रशिक्षण दिया गया।

कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल, संचालक अनुसंधान सेवायें डॉ. विवेक त्रिपाठी के मार्गदर्शन में प्रमुख अन्वेषक डॉ. दीपक कुमार चन्द्राकर एवं अन्य सहयोगी वैज्ञानिक डॉ. मंगला पारीख, डॉ. देवप्रकाश पटेल एवं सुश्री कृष्णा तांडेकर, विभागाध्यक्ष द्वय डॉ. दीपक शर्मा तथा डॉ. (मेजर) जी.के. श्रीवास्तव के कुशल निर्देशन में इस परियोजना को राष्ट्रीय स्तर पर यह उपलब्धि मिली है।

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