कांग्रेस में टिकट बंटवारे के बाद घमासान, कई नेताओं ने छोड़ी पार्टी
अशोकनगर
मध्य प्रदेश कांग्रेस के पूर्व जिपं अध्यक्ष मलकीत सिंह संधु ने इस्तीफा दे दिया है। जिले में प्रत्याशियों की घोषणा होने के बाद इस्तीफों का दौर शुरू हो गया है। रविवार को कांग्रेस को एक के बाद कई झटके लगे। सबसे पहले पूर्व जिपं अध्यक्ष मलकीत सिंह संधु ने सुबह अपना इस्तीफा पार्टी अध्यक्ष को भेज दिया तो वहीं शाम को उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहीं आशा दोहरे ने भी अपना इस्तीफा पार्टी को दे दिया। इसके अलावा उनकी सास वरिष्ठ कांग्रेसी और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अनिता जैन और उनके पुत्र सेक्टर अध्यक्ष विकास जैन ने भी अपना इस्तीफा दे दिया।
तीन साल पहले कांग्रेस की तरफ से चुनाव में उतरी आशा दोहरे से जब इस्तीफे को लेकर बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि यह इस्तीफा टिकट न मिलने के कारण नहीं बल्कि लगातार पार्टी के वरिष्ठों द्वारा की गई उपेक्षा के कारण दिया गया है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस प्रत्याशी का टिकट घोषित होने के बाद उनको दूध में से मक्खी की तरह निकाल दिया गया। जिस दिन से कांग्रेस प्रत्याशी का टिकट घोषित हुआ उसके बाद पार्टी के किसी वरिष्ठ पदाधिकारी ने उनसे संपर्क नहीं किया। ऐसे में जिले के वरिष्ठ पदाधिकारियों के अलावा विधानसभा प्रभारी द्वारा की गई इस अपेक्षा के बाद उन्होंने इस्तीफा देने का मन बनाया।
इस दौरान उनके अलावा उनकी सास अनिता जैन जो कि पूर्व नेता प्रतिपक्ष नगर पालिका हैं और उनके पुत्र विकास जैन विक्की जो कि कांग्रेस में अशोकनगर विधानसभा के सेक्टर अध्यक्ष हैं उन्होंने भी अपना इस्तीफा प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ को भेज दिया।
पूर्व जिपं अध्यक्ष मलकीत सिंह ने 2018 में थामा था कांग्रेस का हाथ
जिले में कांग्रेस पार्टी के संगठन मंत्री पूर्व जिपं अध्यक्ष मलकीत सिंह ने वर्ष 2018 में भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ने के बाद कांग्रेस का हाथ थामा था लेकिन मुंगावली से कांग्रेस प्रत्याशी का टिकट घोषित होने के बाद पूर्व जिपं अध्यक्ष कांग्रेस के कार्यक्रमों में कम ही नजर आए। रविवार को उन्होंने भी कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। वहीं इनके इस्तीफा देने के बाद भाजपा में वापसी की अटकलें तेज हो गई हैं।
इस्तीफों के पीछे यह है कारण
उपचुनाव की कांग्रेस प्रत्याशी आशा दोहरे के देवर विकास जैन ने बताया कि एक तरफ कांग्रेस द्वारा चुनावी मैदान में उन प्रत्याशियों को फिर से मौका दिया है जो उपचुनाव में करीब 40 हजार से अधिक मतों से पराजित हुए थे तो दूसरी तरफ उनकी पराजय मात्र 13 हजार वोटों से हुई थी ऐसे में एक बार उनको भी मौका देना चाहिए था। कुल मिलाकर टिकट वितरण के बाद कांग्रेस की फूट अब खुलकर सामने आने लगी है। आगामी समय में कुछ और लोगों के इस्तीफों की अटकलें लगाई जा रही हैं।