MP Assembly Election 2023: एमपी की सबसे बड़ी सीट जहां 20 साल से BJP की बादशाहत

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इंदौर
मध्‍य प्रदेश में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो चुका है। ऐसे में सभी पार्टियां जोर-शोर से प्रचार में जुटी हुई हैं। लगभग सभी दलों ने अपने उम्‍मीदवारों के नामों का भी ऐलान कर दिया है। मध्‍य प्रदेश की सबसे बड़ी विधानसभा सीट- इंदौर 5 का पूरा इतिहास, जहां पर भारतीय जनता पार्टी की बादशाहत पिछले 20 सालों से कायम है। इस खबर में आप इंदौर 5 के सियासी मुद्दे, जातिगत समीकरण और भी बहुत कुछ जानेंगे।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कोई भी शुभ काम करने से पहले गौरीपुत्र भगवान गणेश की पूजा की जाती है। उन्‍हीं भगवान गौरीपुत्र का श्री खजराना गणेश मंदिर इंदौर के इसी विधानसभा क्षेत्र में है। पूर्वी इंदौर का ये सबसे आधुनिक और मॉडर्न इलाका माना जाता है। इस क्षेत्र में सबसे ज्‍यादा पब और मॉल भी हैं। यही वजह है कि, इसे पब और मॉल के शहर नाम से लोग जानते हैं। इंदौर का जिक्र यहां के खाने-पीने के बिना अधूरा है। दरअसल, यहां की सबसे फेमस छप्‍पन दुकान लोगों के आकर्षण का केंद्र है। वर्तमान में यहां से भारतीय जनता के पार्टी के महेंद्र हार्डिया विधायक हैं।

वोटर्स की संख्‍या
इंदौर की पांच नंबर विधानसभा में कुल 3,92,862 हैं। इसमें से 1,98,826 पुरुष और 1,92,678 महिला वोटर हैं। इसके अलावा 10 थर्ड जेंडर वोटर्स भी इस क्षेत्र में हैं। यहां पर मुस्लिम वोटर्स की संख्‍या भी बहुतायत में है। मुस्लिम वोटर्स की बात करें तो यहां पर कुल एक लाख 15 हजार वोटर्स हैं।

ऐसा रहा राजनीतिक इतिहास
इंदौर की 5 नंबर विधानसभा सीट मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी सीट है। ये सीट 1977 में अस्तित्व में आई थी। यहां से कांग्रेस के सुरेश सेठ सबसे पहले विधायक बने और अब फिलहाल दो दशक से भाजपा की बादशाहत बरकरार है। भाजपा के खाटी नेता महेंद्र हार्डिया ने इस सीट पर 2018 के चुनाव में कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल को हराया था।

क्‍या हैं यहां के मुद्दे

  • विश्व प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश न दिया जाना
  • खजराना गणेश मंदिर में दर्शन शुल्क की वसूली
  • खजराना इलाके में गंदे पानी की और ड्रेनेज की समस्या
  • संजीवनी क्लीनिक की कमी
  • मुस्लिम बहुल इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाएं
  • बेरोजगारी
  • अवैध कॉलोनियां

अब राजनीतिक समीकरण समझें
इंदौर की पांच नंबर सीट बीजेपी के लिए सबसे सेफ सीट है। बीते 20 सालों में कांग्रेस की नजर इस सीट की ओर है। कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल का यहां से हार का सामना करना पड़ा था। इसलिए समय-समय पर नए चेहरे ताल ठोंकते रहते हैं। उनमें से एक चेहरा स्वप्निल कोठारी का है। इस सीट की एक खास बात और भी है कि, यहां भले ही बीजेपी को जीत मिलती हो, लेकिन जीत का अंतर सांसें रोक देने वाला होता है।

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