पी. चिदम्बरम ने किया रमन व भूपेश सरकार की तुलना

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रायपुर
स्वर्गीय अजीत जोगी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के बाद, भाजपा लगातार तीन बार चुनी गई और 2003 से 2018 के बीच रमन सिंह द्वारा तीन सरकारें बनाई गईं। 2018 से भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार है। यह स्वाभाविक है कि हम 2018 और 2023 में छत्तीसगढ़ राज्य की स्थिति की तुलना करें। भाजपा सरकार के तीसरे कार्यकाल के अंत में, कृषि गहरे संकट में थी। मई 2003 से नवंबर 2018 के बीच, हजारों किसानों ने अपनी जान ले ली। 2017 में, सरकार ने 21 जिलों की 96 तहसीलों में सूखे की घोषणा की, लेकिन किसानों को फसल बीमा योजना के तहत वादा की गई राशि नहीं मिल पाई। भाजपा सरकार वादे के मुताबिक एमएसपी देने में भी विफल रही। उक्त बातें पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी. चिदम्बरम ने राजीव भवन में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहीं।

उन्होंने कहा कि 2017-18 के अंत में राज्य का राजकोषीय घाटा 3.34 प्रतिशत था। छत्तीसगढ़ भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक था। 39 प्रतिशत आबादी गरीबी में जी रही थी, 37 प्रतिशत बच्चे कुपोषित थे और 15-59 वर्ष की आयु वर्ग की 47 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थीं। प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से 11 प्रतिशत अंक कम थी। नियोजित लोगों में से केवल 10 प्रतिशत ही वेतनभोगी नौकरियों में थे। युवाओं (20-29 वर्ष) के लिए बेरोजगारी दर 22.2 प्रतिशत प्रतिशत थी। महिला श्रम भागीदारी और महिला रोजगार दोनों बेहद कम थे।  शिक्षा के क्षेत्र में शैक्षिक विकास सूचकांक के मामले में छत्तीसगढ़ सभी राज्यों में 22वें स्थान पर है। भाजपा शासन के दौरान एससी और एसटी समुदाय सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। भाजपा सरकार के तहत एससी और एसटी के खिलाफ अपराध दर में वृद्धि हुई थी। सरकार वन अधिकार कानून लागू करने में विफल रही। वन अधिकार अधिनियम के तहत आवदनों में मनमाने ढंग से खारिज कर दिया गया। आज मैं आपको छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के 5 साल का एक स्नैपशॉट देता हूं।

उन्होंने कहा कि कृषि को प्राथमिकता ने छत्तीसगढ़ के धान के कटोरे को हरा-भरा बना दिया है। छत्तीसगढ़ में समर्थन मूल्य पर धान का उपार्जन 2018 में 62 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 2022 में 1 करोड़ 7 लाख मीट्रिक टन हो गया है। पिछले 5 वर्षों में सिंचाई सुविधाओं को दोगुना कर दिया गया है, जिससे कई किसान दूसरी फसल उगाने में सक्षम हो गए हैं। लगभग 19 लाख किसानों को लाभान्वित करते हुए 9272 करोड रू.़ के कृषि ऋण माफ किये गये। 350 करोड़ रुपये का सिंचाई कर भी माफ किया गया। धान की खरीदी 2640 रूत्र प्रति क्विंटल की दर से की जाती है। प्रत्येक भूमिहीन कृषि मजदूर को वार्षिक वित्तीय सहायता के रूप में 7000 रुपये मिलते हैं। आज, राज्य की जीडीपी में कृषि का योगदान 32 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ में देश में सबसे कम बेरोजगारी दर है – केवल 0.5 प्रतिशत। 5 साल में 5 लाख रोजगार पैदा हुईं, नियमित पदो पर सरकारी विभागो में 85 हजार से अधिक भर्ती की गयी। आने वाले 5 साल में 15 लाख रोजगार के नये अवसर पैदा करने छत्तीसगढ़ रोजगार मिशन का गठन किया गया। 2019 से 2024 के लिये बनाई गयी नई उद्योग नीति के तहत स्थानीय युवाओं को प्रमुखता से रोजगार के अवसर मिले है। बेरोजगार युवाओं को 2500 रू. प्रतिमाह भत्ता मिल रहा है।

स्वास्थ्य संकेतकों में आश्चर्यजनक रूप से सुधार हुआ है। सभी बीपीएल एवं एपीएल परिवारों को एक व्यापक स्वास्थ्य बीमा योजना द्वारा कवर किए गए हैं जो प्रति वर्ष 5,00,000 रू. एवं 50 हजार तक मुफ्त चिकित्सा उपचार प्रदान करता है। सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं में सभी परीक्षण, उपचार और दवाएँ नि:शुल्क हैं। एससी और एसटी समुदाय का प्रगति सर्वोपरि है। कुल बजट का 45 प्रतिशत खर्च एससी और एसटी समुदाय पर होता है। वन अधिकार अधिनियम के तहत 5 लाख 18 हजार दावे स्वीकार किए गए और भूमि स्वामित्व वितरित किए गए। खरीदे गए लघु वनोपजों की संख्या 7 से बढ़ाकर 67 कर दी गई। तेंदूपत्तों का एमएसपी 2500 रू. से बढ़ाकर 4000 रू. प्रति मानक बोरा कर दिया गया। प्रति व्यक्ति आय 2018 में 88,793 रू. से बढ़कर 2023 में 1,33,897 रू. प्रतिवर्ष हो गई है। नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 5 वर्षों में 40 लाख लोग गरीबी से बाहर आए हैं। समृद्धि में वृद्धि, लोगों विशेषकर किसानों के चेहरों पर दिखाई दे रही है।

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