अब रेग मे धान बुआई करने वाले किसानो ने भूपेश सरकार से लगाई मदद की आश. फसल क्षति होने पर कर्ज के बोझ तले दब जाते हैं. कृषि मजदूर किसान.. पढ़िए पूरी ख़बर..
अब रेग मे धान बुआई करने वाले किसानो ने भूपेश सरकार से लगाई मदद की आश. फसल क्षति होने पर कर्ज के बोझ तले दब जाते हैं. कृषि मजदूर किसान.. पढ़िए पूरी ख़बर..
. के. नागें की स्पेशल स्टोरी.. बालोद. जिले सहित पूरे प्रदेश में पानी की कमी के चलते किसान परेशान हैं. प्रदेश के कई जिले सूखे की चपेट में आ गए हैं. येसे मे सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती है. ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले ज्यादातर कृषक मजदूर वर्ग के लोग. गांव के बड़े किसानो का खेत रेग मे लेकर धान की बुआई करते हैं. और अपनी गाढ़ी कमाई का पूरा पैसा लगा देते हैं. तो कोई साहूकार से कर्ज लेकर दवाई खाद लेकर खेतों में दिन रात मेहनत करते हैं. फिर भी कुदरती मार के आगे बेबस नजर आते हैं.
किसान. कभी सूखे से तो कभी बाढ़ से प्रभावित होकर अपने खेतों में अनाज उत्पादन नहीं कर पाते हैं. और कर्ज के बोझ तले दब जाते हैं. सरकार किसानो के लिए हर संभव मदद की कोशिश करते हैं. पर नतीज़ा कुछ और ही होता है. किसानो को मिलने वाले मुआवजा से खेत मालिक को राहत तो मिलता है. लेकिन रेग पर फसल उगाने वालो कोई राहत नहीं मिलती. और नतीजतन कर्ज के बोझ से उबर नहीं पाते. और कई कृषक मजदूर आत्महत्या करने जैसे घातक कदम उठाने मजबूर हो जाते हैं. छत्तीसगढ़ सरकार किसानो की हित में बहुत ही अच्छा कार्य कर रहा है. मेरा मानना है कि अगर किसानो के साथ ही रेग मे खेत बोने वाले किसानो के लिए राहत का पैकेज करता है तो निश्चित ही कृषक मजदूर वर्ग के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी. यह मेरा निजी सोच है….